इस बार बरसात के महीने में प्रखंड के करीब आधा दर्जन गांवों के लोग बाढ़ की त्रासदी झेलने को विवश होंगे। इनमें बारा, बंसवरिया, लहुरिया, खुरसाहा, महुआबा आदि गांव शामिल हैं। पिछले साल जून में हरदी नदी ने अपनी पुरानी धारा को छोड़ नई धारा बना ली थी। जिसके बाद से बारा, बंसवरिया, लहुरिया, खुरसाहा आदि गांव के लोगों की खुशियों पर ग्रहण लग गया।
हजारों एकड़ जमीन धारा में विलीन : नदी की धारा बदलने के कारण बारा, बंसबरिया, खुरसाहा आदि गांव के लोगों की कई एकड़ जमीन नदी की धारा में विलीन हो गई। हजारों एकड़ जमीन में नदी ने रेत डाल दिया। जिसके चलते यह जमीन बंजर पड़ी हुई है। जहां कल तक हरियाली थी, आज वहां रेत ही रेत नजर आ रहा है। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि जो जमीन नदी में विलीन हो गया या फिर रेत के कारण
अब उपजने लायक नहीं रहा, वैसे जमीन का सर्वे करा लगान माफ किया जाए। नदी की धारा मोड़ने का हुआ था प्रयास : पिछले साल जून में नदी की धारा बदलने के साथ ही प्रशासन सक्रिय हुआ था। नई धारा को पुरानी धारा में ले जाने की खूब कोशिश हुई। लाखों रुपए खर्च भी किए गए लेकिन, बार-बार बाढ़ आने के कारण सफलता नहीं मिल सकी। इसी दौरान जिले के प्रभारी मंत्री जमा खान ने भी इलाके का दौरा कर लोगों को समस्या से निजात दिलाने का भरोसा दिलाया था। बाढ़ का मौसम समाप्त होते ही अधिकारी से लेकर राजनेता तक भूल गए।
बाढ़ के मौसम में नदी को मोड़ना असंभव: स्थानीय लोग बताते हैं कि बाढ़ के समय में इस नदी की धारा को किसी भी तरफ मोड़ना असंभव है। इसके लिए बाढ़ बरसात से पूर्व ही प्रयास किया जाना चाहिए। लेकिन अभी तक किसी स्तर से इस तरह का कोई प्रयास होता नजर नहीं आ रहा है। जिसके कारण गांव के लोगों को बाढ़ की चिता सताने लगी है। पिछली बाढ़ में केवल लहुरिया गांव के सैकड़ों परिवारों को विद्यालय में शरण लेनी पड़ी थी। अगर इस बार भी व्यवस्था नहीं की गई तो यही नौबत होगी।
दो दशक में तीन बार बदली धारा: बताते हैं कि हरदी नदी अपनी धारा बदलने के लिए पहचाना जाता है। लोग इसे तालाब का दुश्मन भी बताते हैं। जानकारों की माने तो दो दशक में इस नदी ने तीन बार धारा बदली है। कुछ दशक पूर्व हरदी नदी प्रखंड के नोनाही गांव से गुजरती थी। इसके बाद धारा बदलकर महादेव पट्टी से दक्षिण आ गई। यहां भी नदी ज्यादा समय नहीं रुकी और धारा बदलकर जगदर के पास आ गई। जहां सरकार की तरफ से तीसरी बार पुल बनवाया गया था।
पिछले वर्ष नदी ने उस पुल को छोड़कर लहुरिया गांव के समीप अपनी धारा बना लिया। अब यहां भी पुल का निर्माण कराया जा रहा है। स्थानीय ग्रामीण राम लक्ष्मण चौधरी, मूंग लाल राय, किशोरी चौधरी आदि ने बताया कि पिछले साल जब नदी इस तरफ आई तो करीब डेढ़ दर्जन तालाब में रेत भरकर उसे नष्ट कर दिया।