इसी महीने मधुबनी जिले के जयनगर से नेपाल के कुर्था के लिए रेल सेवा का उद्घाटन भारत और नेपाल के प्रधानमंत्री के द्वारा किया जा चुका है। इसके अलावा एक और रेल रूट जोगबनी से जयनगर पर निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। वहीं बिहार से नेपाल की यात्रा करने के इच्छुक यात्रियों के लिए एक और खुशखबरी है क्योंकि प. चंपारण के रक्सौल से लेकर काठमांडू तक रेल लाइन का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए तीसरे चरण के सर्वे का काम चल रहा है।
16 हजार करोड़ से अधिक की लागत।
बता दें कि रक्सौल (बिहार) काठमांडू तक रेल लाइन परियोजना 16 हजार 550 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस रेलवे लाइन में कुल 13 स्टेशनों का प्रावधान है। जिसमें रक्सौल, बीरगंज, बगही, पिपरा, धूमरवाना, काकड़ी, चंद्रपुर, धीयाल, शिखरपुर, सिसनेरी, सथिकेल और काठमांडू का नाम शामिल है। इसके साथ ही 136 किलोमीटर लंबाई वाले रेल लाइन में 32 रोड ओवरब्रिज, 39 छोटी-बड़ी सुरंगें, 41 बड़े रेल पुल, 53 अंडरपास, 259 छोटे पुल भी होंगे। का भी इन सब की कुल लंबाई 41.87 किलोमीटर है।
ढाई घंटे में काठमांडू, किराया भी एक तिहाई कम।
बता दें कि रक्सौल से काठमांडू अगर सड़क मार्ग से जाएगें तो करीब 150 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी। अब ट्रेन सेवा बहाल होने के बाद यह दूरी घटकर करीब 136 किलोमीटर हो जाएगी। आपको बता दें कि मौजूदा हालात में नेपाल जाने के लिए निजी वाहन या बस की ही सुविधा है। रक्सौल से काठमांडू के बस का किराया की बात की जाए तो करीब 600 रुपये (भारतीय मुद्रा) है। वहीं ट्रेन के टिकट की बात की जाए तो ज़्यादा से ज़्यादा 200 रुपये का टिकट होने की उम्मीद जताई जा रही है। पहले रक्सौल से काठमांडू तक जाने में क़रीब छह घंटे का सफर तय करना होता था। लेकिन ट्रेन से सफ़र करने पर छह घंटे की बजाए सिर्फ़ दो से ढाई घंटे ही लगेंगे।