नेपाल के काठमांडू में लगी आग की तपिश भारत-नेपाल बॉर्डर पर दिखने लगी है। काठमांडू से शुरू हुआ हिंसक विरोध अब भारतीय सीमावर्ती जिलों तक फैल गया है। इसका सीधा असर जिले के सीमावर्ती इलाके सोनबरसा, बैरगनिया और सुरसंड प्रखंड के भिट्ठामोड़ बोर्डर पर पड़ रहा है। इधर सीमा पर कड़ी चौकसी, व्यापार पर रोक और संचार साधनों की कठिनाइयों ने स्थानीय लोगों की परेशानी और बढ़ा दी है। जिले के सोनबरसा से सटे नेपाल के सर्लाही ज़िले में मंगलवार को हालात बिगड़ गए। सुबह से ही लोग सड़कों पर उतर आए और मलंगवा में सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस और नेकपा–एमाले के जिला कार्यालयों पर धावा बोल दिया।
प्रदर्शनकारियों ने दोनों कार्यालयों में तोड़फोड़ के बाद आग लगा दी। एमाले का कार्यालय स्व. मनमोहन अधिकारी सामुदायिक भवन में था, जिसे पूरी तरह जला दिया गया। कांग्रेस कार्यालय को भी भारी नुकसान हुआ। सुरसंड प्रखंड के भिट्ठामोर बॉर्डर पर एसएसबी और नेपाल पुलिस ने फ्लैग मार्च किया। चेकपोस्ट पर कड़ी जांच की जा रही है। सीमा के दोनों ओर का व्यापार रुक गया है। ट्रकों की लंबी कतारें लगी हैं और गाड़ियों का आना-जाना बंद है। बैरगनिया से सटे गौर बॉर्डर को मंगलवार सुबह 11:30 बजे से पूरी तरह सील कर दिया गया। आंदोलन की लपटें अब जनकपुर, वीरगंज, कलेया और रौतहट जैसे शहरों तक फैल चुकी हैं।
सोनबरसा प्रखंड से सटे नेपाल के सर्लाही जिला के नवलपुर मलंगवा सड़क खंड पर यातायात पूरी तरह ठप हो गया। सुबह छात्रों के स्कूल पहुँचने के बाद सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया। बाजार और दुकानें भी बंद रहे। भीड़ ने जब मलंगवा जिला अदालत और प्रशासनिक भवन की ओर बढ़ने की कोशिश की, तो पुलिस ने आंसूगैस के गोले दागे। पथराव और बल प्रयोग की घटनाओं में दो लोग घायल भी हुए। लालबंदी नगरपालिका परिसर पर हमला कर वहां मौजूद मशीनरी और ढांचों को जला दिया गया। मलंगवा डीएसपी सरोज राई ने बताया कि पूरे जिले में आंदोलन जारी है। स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात कर दिए गए हैं। प्रदर्शनकारियों ने हरिवन, लालबंदी और बागमती इलाके में जुलूस निकाले और टायर जलाकर आवागमन बाधित कर दिया।
रिश्तेदारों से संपर्क नहीं : दोनों देशों के सीमावर्ती लोगों की बढ़ी परेशानी सीमा सील होने से दोनों ओर के परिवार सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। जिले के लोग अपने रिश्तेदारों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। सोशल मीडिया बैन होने से फेसबुक, व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम का उपयोग पूरी तरह ठप हो गया है। संचार का एकमात्र साधन अंतरराष्ट्रीय कॉल बचा है, जिसकी दर 7.99 रुपया प्रति मिनट है। महंगी कॉल दर के कारण लोग मजबूरी में भारी भुगतान कर रहे हैं। व्यापारियों की हालत भी खराब है। नेपाल में रोजाना बड़ी मात्रा में खाद्यान्न, सब्जियां और अन्य सामान का लेन-देन होता था। लेकिन अब बॉर्डर बंद होने से व्यापार पूरी तरह ठप हो गया है। दुकानदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
