रहिमन धागा प्रेम का, मत छोड़ो छिटकाय. टूटे से फिर न मिले, मिले गांठ परिजाय. हर अवसर के लिए प्रासंगिक… यह लाइन लिखकर लालू प्रसाद यादव के करीबी और आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने नए संकेत दिए हैं. हां, एनडीए में शेर-ओ- शायरी के दौर के बाद महागठबंधन में दोहे सुनाए जा रहे हैं. बिहार की सियासी पिक्चर दिलचस्प मोड़ पर आ गई है. हर दिन नया सस्पेंस उभर रहा है. तेजस्वी खेमे की तरफ से यह ट्वीट ऐसे समय में आया है जब दिल्ली की एक अदालत ने लालू फैमिली को आईआरसीटीसी केस में झटका देते हुए भ्रष्टाचार को लेकर आरोप तय कर दिए हैं. अब लालू, राबड़ी और तेजस्वी मुकदमे का सामना करेंगे. यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब बिहार में विधानसभा चुनाव घोषित हो गए हैं. एनडीए ने सीट शेयरिंग कर ली है लेकिन महागठबंधन में बंधन नहीं हो पा रहा है. जाहिर है यह बीजेपी के लिए खुश होने का विषय होगा.
आपको याद होगा कि एनडीए की सीट शेयरिंग की औपचारिक घोषणा होने से ठीक पहले जीतन राम मांझी ने लिखा था- हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि उसमें भी कोई बाधा हो, तो दे दो केवल 15 ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम, HAM वही खुशी से खाएंगें,परिजन पे असी ना उठाएंगे. चिराग पासवान ने अपने पिता को याद करते हुए लिख दिया था- पापा हमेशा कहा करते थे — जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत. जीना है तो मरना सीखो, कदम-कदम पर लड़ना सीखो. चिराग ने वैसे एनडीए में अच्छी सीटें (29) जुटा ली हैं.
अब महागठबंधन में दोहे का दौर
रात 9 बजे के बाद जब से मनोज झा ने ट्वीट किया है, पटना से दिल्ली तक खलबली है. लोग सोशल मीडिया पर चर्चा कर रहे हैं कि एक तरफ भ्रष्टाचार में घिरने और दूसरी तरफ सीटों को लेकर सहमति न बन पाने की स्थिति में क्या कांग्रेस कोई दूसरा विकल्प सोच रही है? हाल के वर्षों में दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ने का नतीजा भी देख चुके हैं. ऐसे में क्या वे भाजपा की रणनीति का मुकाबला कर पाएंगे?
सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि तेजस्वी यादव सोमवार को दिल्ली में थे. उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे या राहुल गांधी से मिलना था लेकिन वे बिना मिले ही पटना लौट गए. और रात में मनोज झा ने रहिमन धागा… वाला ट्वीट कर दिया. कवि रहीम दास का यह प्रसिद्ध दोहा है. इसमें वह कहते हैं कि प्रेम का रिश्ता बेहद नाजुक धागे की तरह होता है जिसे अचानक या गुस्से में तोड़ना नहीं चाहिए. अगर प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो उसे दोबारा जोड़ पाना काफी मुश्किल होता है. अगर किसी तरह इसे जोड़ भी दिया जाए तो उस टूटे हुए रिश्ते में गांठ पड़ जाती है मतलब पहले जैसा भरोसा और सहज स्थिति नहीं रह पाती है. अब लोग सोच रहे हैं कि सीट शेयरिंग पर फंसे पेंच के बीच इस दोहे के मायने क्या हैं.
RJD और कांग्रेस के बीच मसला क्या है?
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी थी और 19 ही जीत पाई थी. नतीजा यह रहा कि तेजस्वी सरकार नहीं बना पाए. इस बार आरजेडी चाहती है कि कांग्रेस कम सीटों पर लड़े और आरजेडी के लिए सरकार बनाने (अच्छी सीट मिलने पर) की एक संभावना बनी रहे. हालांकि कांग्रेस 70 से कम सीटों पर राजी नहीं हो रही. इसके बदले में उसकी शर्त है कि सीट पसंद की होनी चाहिए. पिछले चुनाव को लेकर कांग्रेस का तर्क है कि उसे जो सीटें मिली थीं, वे कमजोर थीं. मुकेश सहनी भी ‘भेदभाव’ की बात कह रहे हैं.
आधी रात के बाद यह भी चर्चा
आधी रात के बाद से कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि महागठबंधन में सीटों का बंटवारा हो गया है. आरजेडी सबसे ज्यादा 135 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, कांग्रेस 61 सीटों के लिए मान गई है. मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी को 16 सीटें मिलेंगी. बाकी लेफ्ट दलों को सीटें दी जाएंगी. हालांकि गांठ पड़ने वाले दोहे ने अलग ही रायता फैला दिया है.
