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कटिहार

भैंसों को खिलाती थी गांव में चारा, सच्ची मेहनत और लगन के दम पर UPSC निकाल बनी IAS

Saroj Raja
Last updated: 2022/03/02 at 3:26 AM
Saroj Raja
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9 Min Read
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छोटे-छोटे गांव की लड़कियों को पढ़ाई करने के लिए आज भी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। कुछ लड़कियां इन मुसीबतों से हार कर पढ़ाई बंद कर देती है, लेकिन कुछ लड़कियां अपने हौसले को बुलंद रखते हुए जीवन में कुछ कर गुजरती है। ऐसी ही एक छोटे से गांव की लड़की है, सी वनमती जिसने देश की सबसे कठिन परीक्षा को पास कर अपने गांव का नाम रोशन किया।

भारत में सिविल सेवा परीक्षा (Civil Service Exam) को सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है, क्योंकि इसे पास कर लेने के बाद व्यक्ति आईएएस या आईपीएस ऑफिसर (IAS-IPS Officer) बनता है। अगर आपको अपने सपनों पर विश्वास है और आपके अंदर वो जुनून है की किसी भी हाल में आप उन्हे सच कर दिखाऐंगे, तो यकीन मानिये आपको आपके सपने पूरे करने से कोई नहीं रोक सकता।

छोटे गांव में लड़की होना आज भी अभिशाप मना जाता है। लड़की होने पर शोक मानते है, लेकिन वो ये नही जानते कि आज लड़की हर क्षेत्र में पुरुषों से कम नही है। हर क्षेत्र में कामयाबी के झंडे लहरा रही है। कई बार परिस्थिति इतनी विपरीत होती है की इंसान उम्मीद ही छोड़ देता है, ये सोच के कर खुद को तशली दे देता है की ये सपने उनके लिए बने ही नही है।

कहते हैं मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है। यदि आप किसी चीज को पाने के लिए अपना सबकुछ दाव पर लगा देते हैं, तो वह चीज आपको कभी न कभी जरूर मिलती है। फिर आप यह बहाना नहीं बना सकते कि हमे लाइफ में आगे बढ़ने के लिए अच्छी सुख सुविधाएं नहीं मिल इसलिए हम पीछे रह गए।

वह कहते हैं न कि यदि आप गरीब पैदा हुए हैं, तो इसमे आपकी कोई गलती नहीं है, लेकिन यदि आप गरीब मरते हैं तो इसमें आपकी गलती है। क्योंकि इंसान चाहे तो गरीब से गरीब हालातों से भी उठकर अमीर और कामयाब बन सकता है। ये बात आज के समय में हर कोई जानता है कठिन परिश्रम मानव के जीवन की वह चाबी है, जो किस्मत का दरवाजा खोल देती है। जो व्यक्ति सच्चे मन, लगन और धैर्य, से मेहनत करता है आखिर वो अपने जीवन में सफलता को अवश्य पा ही लेता है।

18 जून को UPSC IAS प्रीलिम्स परीक्षा (Pre Exam) है। प्रीलिम्स में कामयाबी इस बात पर निर्भर करती है कि आपने उसकी कैसी तैयारी कैसी की है। यह बात मायने नहीं रखती कि IAS की तैयारी के लिए आपके पास कितनी सुविधाएं हैं और आपकी परिस्थतियां कैसी हैं। कभी भी सफलता किसी अमीरी गरीबी की मोहताज नही होती है। सफलता तो उनके कदम चूमती है, जिसमें अपने सपनो को पूरा करने का जुनून होता है।

देश के कई इंटेलिजेंस ने यह कर दिखाया है। ऐसी ही एक शख्स हैं, सी वनमती केरल के इरोड जिले की रहने वाली सीवनमती (C Vanmathi) ने चरवाहा से IAS बनने का सफर कैसे तय किया, यह कहानी (Story) उनके हुनार को सावित करती है। ऐसी ही एक छोटे से गांव की लड़की है, वनमती ने कर दिखाया, जिसके बल पर इस लड़की ने देश की सबसे कठिन परीक्षा सिविल सेवा परीक्षा को पास कर अपने गांव का नाम गर्व से ऊंचा कर दिया।

जो लोग इस परीक्षा को पास कर लेते है, बाद में वे व्यक्ति आईएएस या आईपीएस ऑफिसर बनते है। वनमती (C Vanmathi ) को लेकर हैरान कर देने वाली बात ये है की इन्होने सिविल सेवा परीक्षा पास ही नहीं की बल्कि अच्छी रैंक भी प्राप्त की। ऐसा कर अपने गांव के साथ माता बाप का समाज में नाम रोशन किया।

छोटे से गाँव में पली बढ़ी सी वनमती सत्यमंगलम कॉलेज में पढ़ने वाली सी वनमती एक साधारण सी लड़की थी, जिसके दिन की शुरुआत पशुओं को चारा खिलाने से शुरू होती थी। पढ़ाई में मेहनती सी वनमती को पहली बार में हालांकि कामयाबी नहीं मिली। पर इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और साल 2015 में आखिरकार उनका नाम UPSC के परिणाम लिस्ट में शामिल हो ही गया।

किस्मत ने कुछ ऐसा खेल खेला जिससे उनकी किस्मत पलटकर रख दी। इंटरव्यू से ठीक दो दिन पहले ही सी वनमती (C Vanmathi) के पिता टी एन चेननयापम तबियत अचानक खराब हो गई और उन्हें होस्पिटलाइस करना पड़ा। अपने पिता की देखभाल करते हुए ही वनमती ने इंटरव्यू की तैयारी की।

केरल के इरोड जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली वनमती एक आईपीएस ऑफिसर है। वनमती एक ऐसे गांव से आती हैं, जिसमे शिक्षा के संसाधन का अभाव है। शिक्षा को ज्यादा महत्व नही दिया जाता है। शिक्षा के संसाधनों की कमी के चलते बच्चे ज्यादा शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ है। उनको शिक्षा प्राप्त करने के लिये दूसरे गांव जाना पड़ता है। ये सभी के लिए संभव नही है।

गरीब परिवार में पली बढ़ी हुई सी वनमती के पिता खेती कर परिवार का पेट पालते थे। उनकी खेती भी बहुत कम थी जिससे घर खर्च नहीं चल पाता था। ऐसे में उनके पिता टैक्सी चलाने शहर चले गए थे। घर के छोटे जरूरी खर्चों को पूरा करने के लिए उन्होंने कुछ जानवर पाल लिए थे। इन पशुओं को चराने का जिम्मेदारी वनमती की ही होती थी।

वनमती का पूरा बचपन इन गाय भैंस को चराने में ही गुजर गया। बचपन में बच्चों का जीवन खेलने खुदने में गुजरता है, लेकिन सी वनमती के साथ ऐसा नही हुआ। वे जब भी स्कूल से लौटती थी तो जानवरों को चराने का काम करती थी। जब थोड़ा बहुत समय बचता था, तो वे पढ़ाई भी करती थी। उनकी स्कूलिंग गांव के ही सरकारी स्कूल से हुई है। वहीं कॉलेज भी उन्होंने अपने कस्बे से ही किया। वहीं पोस्ट ग्रेजुएशन उन्होंने कंप्यूटर एप्लीकेशन में पूरा किया।

इसके बाद वे प्राइवेट बैंक में जॉब करने लगी। इसमें उनकी सैलरी अच्छी थी, जिससे घर खर्च आसानी से चल जाता था। जैसा की आप जानते है, पशुपालन का काम बहुत मुश्किल होता है इसमें भी मेहनत लगती है उन्हें सुबह और शाम चराने के लिए ले जाना पड़ता है उनकी साफ सफाई करनी पड़ती है यह सभी काम वनमती के जिम्मे था।

वनमती यह सभी काम अपनी मां का हाथ बटाने के लिए करती थी, जिसे उसने लंबे समय तक किया जब तक वह बड़ी नहीं हुई। वनमती सुबह स्कूल जाती और स्कूल से आने के बाद मवेशियों को चराने जाती थी और बचे हुए समय में वह पढ़ाई करती करती थी। अपनी पढ़ाई को जारी रखना चाहती थी। पढ़ाई में बचपन से ही होशियार थी।

पढ़ाई के साथ मां का काम मे उनका साथ दिया। हॉस्पिटल में पिता की देखभाल का पूरा जिम्मा वनमती के ऊपर होने के कारण उन्होंने अपने पिता की देखभाल करते हुए आईएएस का इंटरव्यू दिया और सफलता की मंजिल हासिल कर एक मिशाल बनी। इन्होने अन्न लोगो को भी प्रेरित किया और सफलता की नई मिसाल पेश की।

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