देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव की तस्वीरें लगभग साफ हो चुकी है। इस चुनाव नतीजों से कई पार्टियों के साथ देश की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। ये चुनाव नतीजे न सिर्फ विधानसभ की तस्वीर बदलेगी बल्कि इसका असर दिल्ली में पड़ेगा। विधानसभा चुनाव के नतीजे से राज्यसभा के साथ राष्ट्रपति चुनाव के लिए अहम होंगे।
सबसे पहले हम समझते हैं कि ये विधानसभा चुनाव के परिणाम राज्यसभा के समीकरण को कैसे बदलेगी। बता दें कि राज्यसभा की 245 सीटों में फिलहाल आठ सीटें खाली हैं। बीजेपी के पास इस समय 97 सीटें हैं और उनके सहयोगियों को मिला कर ये आंकडा 114 पहुंच जाता है। इस साल अप्रैल से लेकर अगस्त तक राज्यसभा की 70 सीटों के लिए चुनाव होना है, जिसमें असम, हिमाचल प्रदेश, केरल के साथ साथ यूपी, उत्तराखंड और पंजाब भी शामिल है।
यूपी की 11 सीटों पर जुलाई में चुनाव
यूपी की 11 सीटें, उत्तराखंड की एक सीट और पंजाब की दो सीटों के लिए चुनाव इसी साल जुलाई में होना है। ऐसे में इन तीनों राज्यों में चुनाव के नतीजे सीधे राज्यसभा के समीकरण को प्रभावित करेंगे।
जुलाई में ही होगा राष्ट्रपति चुनाव
भारत में अगला राष्ट्रपति चुनाव इस साल जुलाई में होना है। राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष मतदान से होता है। इसमें जनता की जगह जनता के चुने हुए प्रतिनिधि राष्ट्रपति को चुनते हैं। इसमें संसद के दोनों सदनों और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। बता दें, राष्ट्रपति चुनाव में प्रत्येक वोट का अपना वेटेज होता है। सांसदों के वोट का वेटेज निश्चित है मगर विधायकों के वोट का वेटेज अलग-अलग राज्यों की जनसंख्या पर निर्भर करता है। उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का वेटेज 208 है, वहीं सिक्किम के वोट का वेटेज मात्र सात ही है।
बीजेपी को एक लाख और वोट की जरूरत
प्रत्येक सांसद के वोट का वेटेज 708 है। इस हिसाब से 5 राज्यों के नतीजों पर हर पार्टी की नजर है। भारत में कुल 776 सांसद हैं। जिनका वोट वेटेज 549408 है। भारत में विधायकों की संख्या 4120 है। इन सभी विधायकों का सामूहिक वोट वेटेज 549474 है। इस हिसाब से राष्ट्रपति चुनाव में कुल 1098882 वोट है है। आज के चुनाव नतीजों से पहले बीजेपी के पास अभी 398 सांसद हैं और सभी राज्यों में विधायकों की संख्या मिला दें तो तकरीबन 1500 के आसपास है। इनमें से ज्यादातर उन राज्यों में हैं, जिनके वोट का मूल्य राष्ट्रपति चुनाव में ज्यादा है। राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए साढ़े पांच लाख से कुछ ज्यादा वोट की जरूरत पड़ती है। बीजेपी के पास अपने साढ़े चार लाख वोट हैं।
अब नए समीकरण में बीजेपी चार राज्यों में भले जीत रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सीटें में कमी आई है। इसके कारण राज्यसभा के साथ बीजेपी को राष्ट्रपति के चुनाव में कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।