बीजेपी एक बार भी प्रचंड बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है. समाजवादी पार्टी का एक बार फिर सत्ता में आने का सपना टूट गया. बीजेपी गठबंधन ने जहां 273 सीटें जीतीं वहीं सपा गठबंधन के खाते में 125 सीटें आईं. कांग्रेस को दो और बसपा को एक सीट से संतोष करना पड़ा.
समाजवादी पार्टी की सीटें भले ही इस चुनाव में बढ़ी हों लेकिन अपने गढ़ में साइकिल लड़खड़ाती नजर आई. हालांकि उसने बीजेपी के विजय रथ को स्लो करने में कामयाबी जरूर हासिल की. कानपुर मंडल के इटावा, औरैया, फर्रुखाबाद और कन्नौज को सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का गढ़ माना जाता है.
पिछले दो चुनाव से इस इलाके में भी बीजेपी ने बढ़त बना रखी है. यादवलैंड की 59 सीटों पर तीसरे चरण में मतदान हुआ था. इस चरण की 44 सीटें बीजेपी ने जीती हैं. जबकि सपा ने 15 सीट अपने नाम की हैं.
पिछली बार के मुकाबले इस बार कानपुर मंडल की 27 सीटों में बीजेपी को दो सीटों का नुकसान हुआ है. उसे 20 सीटें मिली हैं. वहीं समाजवादी पार्टी ने 7 सीटें जीती हैं. जबकि बसपा-कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल पाया है.
हालांकि इटावा की जसवंतनगर सीट पर शिवपाल यादव का कब्जा बरकरार है. सपा-प्रसपा की लामबंदी का असर ये रहा कि भरथना सीट अब सपा के खाते में आ गई है.हालांकि इटावा सदर सीट सपा नहीं जीत पाई.
औरैया में बीजेपी के कब्जे वाली तीन सीटों में से दो पर इस बार सपा ने विजय पताका फहराई है. पार्टी को बिधूना से बीजेपी विधायक विनय शाक्य के सपा में आने का फायदा मिला है. दूसरी ओर दिबियापुर सीट भी अब सपा के हिस्से में आ गई है. राज्यमंत्री लाखन सिंह राजपूत को पूर्व सांसद प्रदीप यादव ने मात दी है. हालांकि औरैया सदर सीट पर बीजेपी का जलवा बरकरार है.
गुड़िया कठेरिया ने इस सीट से जीत हासिल की है. फर्रुखाबाद एक बार फिर से बीजेपी के नाम रहा. बीजेपी ने यहां की सभी 4 सीटें जीती हैं. वहीं कन्नौज में बीजेपी ने छिबरामऊऔर तिर्वा के साथ-साथ कन्नौज सदर सीट भी जीत ली है. कानपुर देहात की सभी सीटों पर बीजेपी का कब्जा कायम है.
कानपुर शहर की 10 सीटों में अब तक बीजेपी के पास 7, सपा के पास दो और कांग्रेस के पास एक सीट थी. लेकिन इस बार बीजेपी को 7 और सपा को 3 सीटें मिली हैं.