पटना. बिहार मद्य निषेध और उत्पाद संशोधन नियमावली 2022 के तहत भले ही राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित विशेष दंडाधिकारियों को भले ही न्यायिक शक्तियां नहीं मिल पायी है, लेकिन पहले से कार्यरत विशेष न्यायालयों में संशोधित कानून के तहत सुनवाई जारी है. विशेष न्यायालयों ने संशोधित कानून के तहत अप्रैल माह में 829 लोगों से दो से पांच हजार रुपये जुर्माना वसूल कर उनको छोड़ा है. इसके साथ ही उनके केस को भी बंद कर दिया गया.
कानून में संशोधन के बाद खुला रास्ता
खास बात है कि यह अभियुक्त एक अप्रैल 2022 को संशोधित कानून लागू होने से पहले आरोपित बनाये गये थे. इस महीने विशेष उत्पाद न्यायालयों में मद्य निषेध उत्पाद अधिनियम के तहत दर्ज 815 केस का ट्रायल पूरा हुआ है, जिसमें 754 केस में आरोपित दोषी साबित हुए, जबकि 59 मामलों में लोगों की रिहाई हुई. इन न्यायालयों ने पहली बार धारा 37 में शराब पीते पकड़े गए लोगों के मामलों की भी सुनवाई की.
जुर्माना लेकर छोड़े गये अभियुक्तों में सर्वाधिक पूर्णिया के
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अनुसार, अप्रैल महीने में शराबबंदी अधिनियम के तहत पकड़े गये आठ लोगों को एक माह की सजा दी गयी. इसमें अरवल के चार जबकि सारण व जमुई के दो-दो अभियुक्त शामिल रहे. दो से पांच हजार तक जुर्माना देकर छोड़े जाने वाले अभियुक्तों में सर्वाधिक पूर्णिया के हैं.
38 अभियुक्तों को मिली पांच वर्षों की सजा
यहां अप्रैल माह में 238 अभियुक्तों को जुर्माना देकर छोड़ा गया. इसके बाद बेगूसराय दूसरे, गया तीसरे, किशनगंज चौथे और सारण पांचवें स्थान पर रहा. पटना की बात की जाये तो यहां महज 13 शराबी जुर्माना देकर छूट सके हैं. शराब पीने वालों के साथ शराब बेचने वाले या तस्करी से जुड़े अभियुक्तों के मामलों का भी तेजी से ट्रायल हो रहा है. अप्रैल माह में 10 अभियुक्त ऐसे रहे, जिन्हें तीन माह की सजा या 50 हजार का जुर्माना वसूला गया. इसके अलावा 38 को पांच साल की सजा सुनाई गयी. तीन अभियुक्त ऐसे रहे जिन्हें 10 वर्ष की सजा विशेष न्यायालय से सुनायी गयीहै.