मैं अपने परिवार में अकेली और पहली डाक्टर हूं। मैं यह कतई नहीं कहूंगी मैं बचपन से डाक्टर बनने का सपना देखती थी। डाक्टर बनने का ख्याल 11वीं कक्षा में आया। जिसके बाद मैंने इस दिशा में पहला कदम बढ़ाया। कक्षा दसवीं में उन्हें 10 में से 10 सीजीपीए मिले। इसके बाद उन्होंने कक्षा 11वीं में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और गणित जैसे विषय लिए थे। जिससे उन्हें यहां तक पहुंचने में मदद मिली।
कक्षा 12वीं की परीक्षा में 98.2 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। इसके बाद उन्होंने नीट स्नातक के लिए परीक्षा दी। जिसमें उन्हें अखिल भारतीय स्तर पर 103वीं रैंक मिली। वर्ष 2016 में दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कालेज में प्रवेश लेकर वह अपने एमबीबीएस बैच की गोल्ड मेडलिस्ट भी बनी। अब नीट पीजी में टाप करने के बाद डा. शगुन बत्रा कहती है कि उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि वह इस परीक्षा में टाप भी कर सकती है।
अपने माता-पिता और दोस्तों को इस सफलता का श्रेय देने वाली डा. शगुन बत्रा एक कोरोना योद्धा भी है। कोरोना की विपरित परिस्थितियों में डा. शगुन ने अपना आत्मविश्वास को ढिगमगाने नहीं दिया। नीट-पीजी की तैयारी करने के दौरान कोरोना आ गया। अपनी पढ़ाई के साथ ही उनकी तैनाती दिल्ली के सबसे बड़े कोरोना अस्पताल लोकनायक में उनकी तैनाती आइसीयू में हो गई थी।
कोरोना के भारत में प्रवेश करने का वह समय जब कोरोना के मरीज को देखने से ही लोग डर जा रहे थे और अस्पतालों के आस-पास से गुजरने से भी गुरेज कर रहे थे डा.शगुन ने उस समय आइसीयू में गंभीर रूप से आने वाली मरीजों का इलाज किया। साथ ही हर मरीज को बचाने के लिए अपनी तरफ से पूरे प्रयास किए।
उन्होंने कहा कि कि कोरोना से डर नहीं लग रहा था, क्योंकि उस समय भारतीय चिकित्सा क्षेत्र में इस तरह की बीमारी से लड़ने का अनुभव नही था उन्होंने कहा डर तो था, लेकिन यह जिम्मेदारी ली है तो इसमें खतरों से ही तो लड़ना है।इसलिए वह अपनी इस जिम्मेदारी को निभाती रही।
डा.शगुन ने अपने पहले ही प्रयास में नीट पीजी की परीक्षा में टाप करके अपने दृढ़ निश्चय का संकेत दिया है। उन्होंने बताया कि जब वह एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही थी तो तीसरे और चौथे वर्ष में ही उन्होंने नीट पीजी परीक्षा के लिए सभी विषयों के नोट तैयार कर लिए थे। जिससे उन्हें इस मुकाम पर पहुंचने में सहायता भी मिली। हालांकि कोरोना ने उनकी पढ़ाई में थोड़ी बाधा तो डाली थी। क्योंकि अस्पताल के कोरोना वार्ड में तैनाती से अलग-अलग शिफ्ट में काम करना काफी थकान भरा होता था।
ऐसे में वह जितना समय अपनी पढ़ाई को देना चाहती थी नहीं दे पा रही थी। उन हालातों को भयावाह बताते हुए वह कहती है कि चुनौती पूर्ण समय जरूर था, लेकिन उससे हमने अपने आत्मविश्वास को मजबूत करना सीखा है। कोरोना के मामले कम हो गए तो उन्होंने फिर से अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर दिया।
इंटरनेट मीडिया के उपयोग के सवाल के जवाब में डा. शगुन कहती है कि वह हर चीज की अच्छाई को ग्रहण करती है और नकारात्मक चीजों पर ध्यान नहीं देती है। ऐसा ही उन्होंने पढ़ाई के दौरान इंटरनेट मीडिया का उपयोग किया। वह अपनी पढ़ाई से संबंधित जानकारी लेने के लिए इंटरनेट मीडिया का प्रयोग करती थी। हालांकि इसको ज्यादा समय नहीं बस जरुरत के लिए इसका उपयोग किया। उन्होंने कहा कि यह मंच आपको अच्छी चीजें भी सीखा सकता है। इसलिए इसका सदुपयोग करना आना चाहिए।
डा.शगुन के पिता आइटी सेक्टर में काम करते हैं और माता गृहणी हैं। उन्होंने बताया कि उनका भाई भी उनके लिए प्रेरणा था। भावुक होते हुए वह कहती है कि उनका भाई भले ही आज इस दुनिया में नहीं है। उनका एक दुर्घटना में निधन हो गया था, लेकिन अपनी नीट पीजी की पढ़ाई के दौरान उसे खो देना काफी दुखदाई था। लेकिन वह आज भी उनको प्रेरित करता है।
दिल्ली पब्लिक स्कूल, आरके पुरम की छात्रा रही हैं। उन्हें बेडमिंटन खेला और बागवानी करना काफी पंसद है। आगे वह मेडिसिन एमडी करके विशेषज्ञ बनना चाहती है। साथ ही इस कार्य के जरिये वह लोगों की सेवा भी करना चाहती है।