बेगूसराय में सांसद सह केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने केसीआर के बिहार दौरे को लेकर नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि केसीआर बिहार आकर मुख्यमंत्री का चीर हरण करके चले गए. उठक बैठक कर चले गए. यह बदनामी बिहार की आवाम की हुई है. यह मुख्यमंत्री की बदनामी नहीं है यह दुर्भाग्य की बात है यह दृश्य किसी से छुपा हुआ नहीं है. मुझे लग रहा था कि शायद केसीआर नितीश बाबू के नाम की घोषणा करेंगे क्योंकि जब भाजपा से अलग होकर प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने के लिए नीतीश बाबू गए तो पहला फोन केसीआर का ही आया.
केसीआर के बिहार आगमन पर की टिप्पणी
उन्होंने लगा कि जैसे यह केसीआर का फोन नहीं है बल्कि यूनाइटेड नेशन का फोन आ गया. इतने उत्साहित थे आने के बाद छक्का पंजा का खेल हो गया. कौन प्रधानमंत्री का उम्मीदवार है यह पता चल गया. केसीआर भी उम्मीदवार हैं, नितीश बाबू भी उम्मीदवार हैं कोई किसी का समर्थक नहीं है. ना कोई प्रस्तावक है सभी उम्मीदवार ही हैं. लेकिन बंद कमरे में जो बात हुई यह जो मुझे विश्वस्त सूत्रों से पता चला है वह डराने वाला हुआ है. वह तुष्टीकरण नीतियों पर चर्चा हुई है जो केसीआर वहां सर तन से अलग करवाने का आंदोलन चला रहे हैं. उसी तरह नीतीश बाबू के राज में भी जब हम शासन में थे तब भी हम ने विरोध किया था. पीएफआई के लिए बिहार एक स्लीपर सेल बन रहा है. कमरे में जो घोषित हुआ है वह हुआ है सर तन से जुदा करने का अभियान चलाया जाए.
पोस्टर प्रकरण पर बोले केंद्रीय मंत्री
पटना में नीतीश कुमार के समर्थन में लगाए गए पोस्टर के सवाल पर कहा कि यह कौन जुमला कौन सा आश्वासन है. मैं पहले भी कहा था और आज भी चुनौती के साथ कर रहा हूं माननीय मुख्यमंत्री जी आपके पेट में और लालू प्रसाद के पूरे परिवार के पेट में दर्द हो रहा है. नीतीश कुमार और लालू यादव ओवैसी की राजनीति करते हैं जबकि नरेंद्र मोदी गरीबों की बात करते हैं. आप पोस्टर लगाएं लेकिन किसी राजनीतिक दल के गठबंधन से किसी को वोट नहीं मिलता है. वोट जनता के पास में है. जनता जिसको आशीर्वाद देती है वही भारत का प्रधानमंत्री बनेगा.
सीएम मटेरियल भी नहीं नीतीशः केंद्रीय मंत्र
13 में भी तो नीतीश कुमार अलग हुए थे. नितीश बाबू आज तक सीएम मटेरियल नहीं बन पाए जो 2000 में भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया. लेकिन हम प्रधानमंत्री इनको नहीं बना सकते हैं और यह अंतिम मुख्यमंत्री हैं आगे वह मुख्यमंत्री भी नहीं बनेगे. इतने साल राज्य करने के बाद एक बार भी अकेले दम पर सरकार नहीं बना पाए. पूरे देश के इतिहास में कोई मुख्यमंत्री ऐसा नहीं होगा जो इतने दिन तक मुख्यमंत्री रहने के बाद अपनी सरकार नहीं बनी होगी. जो मुख्यमंत्री का मटेरियल नहीं बन पाया तो पीएम मैटेरियल क्या होगा, पीएम किसी कार्यालय में प्रोजेक्ट होता है , पोस्टर पर प्रोजेक्ट होता है. आज नरेंद्र मोदी गरीबों के लिए जीते हैं मरते हैं.