चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई भी केस छोटा नहीं है. अगर हम नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं कर सकते, तो फिर हम क्या करने के लिए बैठे हैं. बिजली चोरी के मामले में 7 साल से अधिक समय जेल में बिता चुके एक व्यक्ति की रिहाई का आदेश देते हुए उन्होंने यह टिप्पणी की. यहां ये जानना दिलचस्प है कि कल ही केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को जमानत के मामले नहीं, बल्कि बड़े संवैधानिक मामले सुनने चाहिए.
बिजली चोरी के मामले में 18 साल की सज़ा!
बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी इकराम नाम के शख्श की अर्जी पर सुनवाई के दौरान की,. इकराम पर यूपी में बिजली चोरी के 9 अलग अलग मामले दर्ज थे. कोर्ट में अपराध स्वीकार करने के बाद उसे हर मामले में दो दो साल की सज़ा हुई. लेकिन तय यह हुआ कि ये सारी सज़ाएं एक साथ चलने के बजाए एक के बाद एक चलेगी. इसके चलते आरोपी की कुल सज़ा अठारह साल की हो गई. आरोपी ने इसके खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया. लेकिन हाई कोर्ट ने कोई राहत नहीं दी.
CJI ने हैरानी जताई
आज जब यह मामला चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने लगा. तो कोर्ट को बताया गया कि आरोपी पहले ही सात साल जेल में गुजार चुका है. चीफ जस्टिस ने इस पर हैरान जताती हुए कहा कि अगर इस तरह के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट दखल नहीं देगा तो फिर हम किसलिए यहां बैठे हैं. अगर हम लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेंगे तो फिर हमारा काम ही क्या है?
सीजेआई ने कहा, ‘जब हम सुप्रीम कोर्ट में बैठते हैं तो कोई केस हमारे लिए बड़ा नहीं है ना ही कोई केस हमारे छोटा है. हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम देश के नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करें. हम इसके लिए दिन रात मेहनत करते हैं. वैसे भी ये कोई अपने आप में पहला केस नहीं है. रोज़ाना इस तरह के केस से हमारा वास्ता पड़ता है.’
SC ने रिहाई का आदेश दिया
इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने इकराम की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया, जिसमें उसने सभी मामलो में हुई सज़ा को एक के बाद एक चलने के बजाए एक साथ चलने की मांग की थी. चूंकि इकराम सात साल जेल में पहले ही गुजार चुका है, लिहाजा इस आदेश के साथ ही उसकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया.