नीतीश कुमार के जेडीयू में नेताओं का स्वागत तो बड़े धूम – धाम से होता है मगर कुछ ही दिनों में उन नेताओं का पार्टी से मोहभंग हो जाता है! प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह के बाद अब उपेंद्र कुशवाहा का पार्टी छोड़ने की बात चल रही है। एक तरफ उपेंद्र कुशवाहा भाजपा नेताओं से मिल रहे हैं और पार्टी को मिडिया में नसीहत दे रहें। वही दूसरे तरफ जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह मीडिया इंटरव्यू में कुशवाहा पर तंज कस रहे हैं।
प्रशांत, आरसीपी और कुशवाहा – इन तीनों नेताओं में एक चीज सामान्य है। तीनों को नीतीश कुमार के राजनीतिक विरासत का वारिस माना गया। तीनों कई अरमानों के साथ जेडीयू में सामिल हुए मगर इनमें से किसी का अरमान पूरा नहीं हुआ। कुशवाहा अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को जेडीयू में विलय करवा के पार्टी में सामिल हुए। जेडीयू – बीजेपी की गठबंधन तोड़वाने में इनका भी कम योगदान नहीं था। राजद के साथ नई सरकार बनी, कहा गया कि कुशवाहा का मंत्री बनना तय है। मगर नई सरकार के शपथ से पहले ही उनका नाम मंत्रियों के लिस्ट से हटा लिया गया।
उपेन्द्र चाहकर भी कुछ न कह पाए और न कर पाए। फिर मिडिया के द्वारा हवा बनाया गया कि मकर सक्रांति के बाद कैबिनेट विस्तार में कुशवाहा को उपमुख्यमंत्री बनाया जायेगा। कुशवाहा ने भी मिडिया में अपनी खुशी जाहिर कर दी। कुशवाहा के अरमानों में पंख लगने ही वाले थे कि नीतीश ने खबर को बकवास बता दिया। कुशवाहा ने बड़ा सपना देख लिया है। सिर्फ विधान परिषद के एक सीट के साथ जेडीयू में उनका ज्यादा दिनों तक रुक पाना संभव नहीं लगता!