राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में स्नातक कोर्स में इसी सत्र से चार वर्षीय च्वाइस बेस्ट क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) पर आधारित पढ़ाई होगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और राजभवन से जारी दिशा-निर्देश के अनुसार, छात्र-छात्राओं के लिए आठ सेमेस्टर अर्थात चार वर्ष का पाठ्यक्रम पूरा करने की अनिवार्यता नहीं होगी।
स्नातक की उपाधि पहले की तरह ही तीन साल अर्थात छह सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी करने पर मिलेगी। जिन विद्यार्थियों का छठे सेमेस्टर में 7.5 सीजीपीए (कम्युलेटिव ग्रेड प्वाइंट एवरेज) या उससे अधिक अंक होगा, वही सातवें सेमेस्टर में नामांकन के योग्य होंगे। नामांकन प्राप्त करना उनकी स्वेच्छा पर होगी। चार वर्षीय स्नातक कोर्स करने पर स्नात्तकोत्तर एक वर्ष का ही होगा।
छह सीजीपीए से कम पर स्नातक की डिग्री
राजभवन से जारी दिशा-निर्देश के अनुसार, विद्यार्थी छह सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी करते हैं और छह सीजीपीए से कम अंक प्राप्त करते हैं तो उन्हें सिर्फ स्नातक की उपाधि मिलेगी। छह सीजीपीए से अधिक अंक प्राप्त करने पर स्नातक (प्रतिष्ठा) की उपाधि प्रदान की जाएगी।
इसके साथ ही पहले दो सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी करने के बाद विद्यार्थी यदि पढ़ाई छोड़ना चाहते हैं तो उन्हें सटिफिकेट मिलेगा तथा दो वर्ष अर्थात चार सेमेस्टर पूरा करने पर यूजी डिप्लोमा दिया जाएगा।
ऐसे होगा एसजीपीए और सीजीपीए का निर्धारण
सीजीपीए का निर्धारण सेमेस्टर के कुल क्रेडिट और एसजीपीए पर निर्भर करता है। चार वर्षीय स्नातक कोर्स में प्रत्येक सेमेस्टर 20 क्रेडिट का निर्धारित है। संबंधित सेमेस्टर का एसजीपीए कुल क्रेडिट प्वाइंट और ग्रेड अंक का गुणाफल के कुल योग को 20 से भाग देने पर प्राप्त होता है।