बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मंगलवार को विधानसभा में दिए बयान पर बवाल बढ़ गया है. भले ही नीतीश ने अपने बयान को लेकर माफी मांग ली है लेकिन विवाद अभी थमा नहीं है. ऐसे में एक सवाल ये भी उठता है कि क्या सदन में नीतीश के आपत्तिजनक बयान पर अदालत या लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसी कुछ कार्रवाई कर सकती है?
इस पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि सदन में कही गई किसी भी बात पर किसी भी जनप्रतिनिधि को संविधान से विशेषाधिकार का सुरक्षा कवच मिलता है. सदन में कही गई हर बात पर कार्रवाई करने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ सदन के अध्यक्ष, सभापति या फिर चेयरमैन का होता है.
इस संबंध में कानून के जानकार सुप्रीम कोर्ट में वकील अभिषेक शर्मा का कहना है कि संसद में सांसदों के विशेषाधिकार की व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 105 के तहत होती है. ठीक इसी तरह विधानसभाओं में भी विधायकों का विशेषाधिकार होता है.
वह बताते हैं कि सदन में सांसद या विधायक जो कुछ भी करते हैं, उस पर कोई अदालत, आयोग या ट्रिब्यूनल कार्रवाई नहीं कर सकता. उन पर किसी भी तरह की कार्रवाई सदन का स्पीकर ही कर सकता है. बेशक, उसकी निंदा की जा सकती है लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो सकती.
क्या कहा था नीतीश कुमार ने?
नीतीश कुमार मंगलवार को बिहार में जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट को लेकर सदन को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान जनसंख्या नियंत्रण को लेकर उन्होंने यह आपत्तिजनक बयान दिया. जनसंख्या नियंत्रण और महिलाओं की पढ़ाई को सीएम नीतीश ने जिस बयान से समझाना चाहा, उसपर विधानसभा के अंदर विधायक भी असहज दिखे.
चर्चा के दौरान सीएम नीतीश ने कहा था कि बिहार में महिलाओं की साक्षरता बढ़ी है. उन्होंने कहा कि लड़की पढ़ी लिखी रहेगी तो जनसंख्या नियंत्रित रहेगी. इसे समझाने के लिए सीएम नीतीश ने कहा था, ‘लड़की पढ़ लेगी अगर, तो जब शादी होगा. तब पुरुष रोज रात में करता है ना. उसी में और (बच्चे) पैदा हो जाता है. लड़की अगर पढ़ लेगी तो उसको भीतर मत …, उसको …. कर दो. इसी में संख्या घट रही है.’
अपने संबोधन में नीतीश ने कहा था कि 2011 की जनगणना की तुलना में साक्षरता दर 61 फीसदी से बढ़कर 79 फीसदी से ऊपर हो गई है. उन्होंने कहा था कि महिला साक्षरता में बहुत सुधार हुआ है. ये 51 फीसदी से बढ़कर 73 फीसदी से ऊपर हो गई है. महिला शिक्षा की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है. मैट्रिक पास संख्या 24 लाख से बढ़कर 55 लाख से ऊपर है. इंटर पास महिलाओं की संख्या पहले 12 लाख 55 हजार थी. अब 42 लाख से ऊपर है. ग्रैजुएट महिलाओं की संख्या 4 लाख 35 हजार से बढ़कर 34 लाख के पार हो गई है.