लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने बिहार में अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है. इस बार भी पार्टी ने सबसे अधिक प्रत्याशी अगड़ी जातियों से उतारे हैं. हालांकि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से भारतीय जनता पार्टी लगातार पिछड़े और अति पिछड़े समाज को साथ लाने की कोशिश कर रही है लेकिन टिकट बंटवारे में उनकी भागीदारी अपेक्षाकृत कम ही दिखी. आधी आबादी को भी पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है.
राजपूत समाज से 5 उम्मीदवार: भारतीय जनता पार्टी इस बार 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इनमें से 10 उम्मीदवार अपर कास्ट से आते हैं. जिन 10 सवर्ण प्रत्याशियों को ‘कमल’ का सिंबल मिला है, उनमें 5 राजपूत, 2 भूमिहार, 2 ब्राह्मण और एक कायस्थ हैं. राजपूत उम्मीदवारों में पूर्वी चंपारण से राधा मोहन सिंह, महाराजगंज से जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, सारण से राजीव प्रताप रूडी, आरा से आरके सिंह और औरंगाबाद से सुशील कुमार सिंह शामिल हैं.
ब्राह्मण और भूमिहार से 2-2 प्रत्याशी: वहीं, भूमिहार समाज से बेगूसराय सीट पर गिरिराज सिंह और नवादा से विवेक ठाकुर को उतारा गया है. ब्राह्मण जाति से दरभंगा सीट पर गोपाल जी ठाकुर और बक्सर में मिथिलेश तिवारी को मौका मिला है. वहीं एक मात्र कायस्थ उम्मीदवार के तौर पर पटना साहिब से रवि शंकर प्रसाद चुनाव लड़ेंगे.
ओबीसी में सबसे अधिक यादव कैंडिडेट: पिछड़ा-अति पिछड़ा और दलित समुदाय से 7 प्रत्याशी उतारे गए हैं. इनमें सबसे अधिक यादव जाति से 3 कैंडिडेट हैं. जिनमें उजियारपुर सीट पर नित्यानंद राय, पाटलिपुत्र से राम कृपाल यादव और मधुबनी से अशोक कुमार यादव को फिर से मौका मिला है. वैश्य समाज से आने वाले संजय जायसवाल को पश्चिम चंपारण से मैदान में उतारा गया है. ईबीसी से मुजफ्फरपुर में राज भूषण निषाद और अररिया से प्रदीप कुमार सिंह उम्मीदवार बने हैं, जबकि सासाराम (सुरक्षित) से शिवेश राम को टिकट मिला है.
सम्राट चौधरी की जाति का कोई उम्मीदवार नहीं: बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी जिस कोइरी (कुशवाहा) समाज से आते हैं, उस जाति से किसी को भी लोकसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं मिला है. वैसे ज्यादातर कुर्मी और कोइरी बहुल सीट जेडीयू और उपेंद्र कुशवाहा के हिस्से में गई है. वहीं, किसी मुस्लिम को भी टिकट नहीं मिला है. इसके अलावे किसी महिला को भी इस बार बीजेपी ने अपना उम्मीदवार नहीं बनाया है.
सवर्णों की हिस्सेदारी 58 फीसदी: जाति आधारित गणना की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में सवर्णों की आबादी लगभग 15 प्रतिशत है लेकिन बीजेपी ने 58 फीसदी अगड़ी जातियों को लोकसभा का टिकट दिया है. भारतीय जनता पार्टी ने करीब 18 प्रतिशत हिस्सेदारी पिछड़े समाज को दी है, जबकि 12 फीसदी हिस्सेदारी अति पिछड़ों को दी है. वहीं मात्र 5% हिस्सेदारी ही दलित समाज के खाते में गई है.