बिहार के बेगूसराय के मटिहानी गांव में मथुरा और वृंदावन की तर्ज पर होली मनाई जाती है। जिले के मटिहानी गांव में होली पर्व को लोगों द्वारा अद्भुत तरीके से मनाया जाता है। सभी एक-दूसरे के ऊपर पिचकारी से रंग डालते हैं। इस दौरान गांव का माहौल एकदम मनभावन सा हो जाता है।
मटिहानी गांव के लोगों ने बताया कि 100 वर्षों से मटिहानी गांव में वृंदावन और मथुरा से भी बेहतरीन तरीके से इस गांव में होली मनाई जाती है। इस दौरान उन्होंने कहा कि परंपरा के तहत होली के एक दिन पहले से ही गांव में होली मनाई जाती है।
दरअसल, बेगूसराय के मटिहानी प्रखंड के मटिहानी गांव में होली के दौरान सात कुओं पर दो दिनों तक रंग-गुलाल की बरसात होती है। कुंओं में ही रंग घोल दिया जाता है और उसे निकाल कर अलग-अलग टोलियां एक-दूसरे पर रंग बरसाती हैं। इस दौरान हुड़दंग नहीं होता है। रंग डालने और होली गीत की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं।
गांव के लोगों ने बताया कि बचपन से वे यह होली देखते आ रहे हैं। यहां होली की सामूहिक परंपरा की शुरुआत एक मारवाड़ी परिवार ने 100 साल पहले की थी। वह परिवार राजस्थान से बड़ी-बड़ी मारवाड़ पिचकारी लेकर आया था, जिनसे उन्होंने कुओं पर सामूहिक होली की शुरुआत कराई थी। होली मनाने के लिए सात कुएं चिह्नित हैं। होली के दिन पूरे गांव के लोग पांच कुओं पर जमा होकर एक-दूसरे पर रंगों की बौछार करते हैं, जबकि होली के अगले दिन शेष दो कुओं पर पर्व मनाकर इसका समापन किया जाता है।
लोगों ने बताया कि प्रत्येक कुएं पर होली के दौरान रंगों के बौछार की रंग बरसाओ प्रतियोगिता होती है। गांव के युवा दो टीमों में बंटकर एक-दूसरे पर रंग डालते हैं। इस दौरान किसी टीम के पीछे हट जाने पर उस कुएं पर होली को समाप्त कर लोग आगे बढ़ जाते हैं।