मानसून की दस्तक के साथ ही नेपाल सीमा से सटे बगहा के पहाड़ी क्षेत्रों में जल संकट और बाढ़ का खतरा गहराने लगा है. रामनगर प्रखंड अंतर्गत जंगलवर्ती और अतिपिछड़ा दोन क्षेत्र में अचानक झिकरी और भपसा जैसी पहाड़ी नदियों में उफान आ गया. उसी दौरान नदी पार करते वक्त दो ट्रैक्टर तेज धार में बह गए. ट्रैक्टर चालक ने समय रहते छलांग लगा दी और किसी तरह किनारे पहुंचकर अपनी जान बचा ली.
तराई क्षेत्र में हो रही बारिश दोन में रहने वालों पर भारी पड़ रही है. मानसून की दस्तक के साथ ही भारत नेपाल सीमा के जंगलवर्ती अतिपिछड़े दोन क्षेत्र की पहाड़ी नदियों में अचानक उफान आ गया. इसके बाद इलाके में बाढ़ जैसे हालात हो गए. दरअसल, दोन के दुर्गम क्षेत्र की पहाड़ी नदी में अचानक आई बाढ़ की चपेट में नदी पार कर रहे दो ट्रैक्टर आ गए, जो नदी की तेज धार में बहने लगे. ट्रैक्टर के चालकों ने समय रहते नदी में छलांग लगा दी और तैरकर किनारे जा पहुंचे.
दोनों ट्रैक्टर गर्दी शेरवा दोन के किसान सुभाष महतो के बताए जा रहे हैं. गनीमत रही कि ट्रैक्टर बहते हुए थोड़ी दूरी पर किनारे जाकर फंस गए. इसके बाद ट्रैक्टर को निकालने के लिए जेसीबी की मदद ली गई.
पहाड़ी नदियां बारिश के दिनों में अचानक उफान पर आ जाती हैं, जिसकी वजह से ग्रामीणों को नुकसान उठाना पड़ता है. पहाड़ी नदियों के पानी की धार बहुत तेज होती है. लिहाजा इसमें से निकल पाना जोखिम भरा होता है. यही वजह है कि दो ट्रैक्टर पहाड़ी भपसा नदी की धार में बहने लगे.
बिहार के पश्चिमी चंपारण का रामनगर प्रखंड में आने वाला दोन क्षेत्र चारों ओर से पहाड़ी नदियों से घिरा हुआ है. यह गांव बिहार के एकमात्र टाइगर रिजर्व के अंदर बसा हुआ है. गावों में आदिवासी थारू और उरांव समुदाय के लोग बसे हुए हैं. जब भी तेज बारिश होती है तो झिकरी, भपसा, मसान और द्वारदह नदियों में उफान आ जाता है.
दो दिन पहले कई लोग बाइक के साथ भपसा नदी मे फंस गए थे, जिन्हें बमुश्किल ग्रामीणों ने निकाला था. इसके बाद फिर यहां बारिश के बाद बाढ़ जैसी स्थिति बन गई. दोन क्षेत्र को जोड़ने वाले रामनगर या हरनाटांड के मुख्य मार्ग पर अब तक सड़क नहीं बनी है, न ही यहां कोई पुल बनाया गया है. इस वजह से दोन वासियों को बरसात के चार महीनों में भारी परेशानी झेलनी पड़ती है.
