बिहार में चुनाव आयोग की ओर से जारी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) में अब बड़ा खुलासा हुआ है. प्रदेश में SIR अभियान के दौरान इलेक्शन कमीशन को अब तक 35 लाख से अधिक फर्जी मतदाता मिले हैं. चुनाव आयोग की ओर से इन फर्जी मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए हैं. इनमें कई मृत हैं तो कई दूसरी जगहों पर जाकर बस गए हैं. इलेक्शन कमीशन के ताजे आंकडों के मुताबिक, अब तक 1.59 प्रतिशत मतदाता मृत पाए गए हैं, जबकि 2.2 प्रतिशत मतदाता स्थायी रूप से अन्य स्थानों पर जा चुके हैं. इसके साथ ही 0.73 प्रतिशत व्यक्ति एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत पाए गए हैं. जिनका कुल योग 4.52 फीसदी है. जो कुल 7,89,69,844 मतदाताओं में 35.5 लाख हैं.
चुनाव आयोग ने 35 लाख से अधिक वोटरों के नाम काट दिए हैं. इससे ये लोग आगामी चुनाव में वोट नहीं कर पाएंगे. इलेक्शन कमीशन की ओर से जारी अपडेट में बताया गया कि लगभग सभी मतदाताओं से संपर्क किया गया है. उन्हें गणना-फार्म EF दिया गया है. इलेक्शन कमीशन ने बताया कि BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) ने घर-घर जाकर दो बार दौरा किया. अब तक 6.6 करोड़ मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा कर दिए हैं. इस तरह से अबतक 88.18 प्रतिशत से अधिक मतदाता या तो फार्म भर चुके हैं, या उनकी स्थिति स्पष्ट हो चुकी है. अब शहरी मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए राज्य के 261 नगर निकायों के 5,683 वार्डों में विशेष कैंप लगाए जा रहे हैं.
आयोग ने कहा है कि फॉर्म जमा करने की आखिरी तारीख 25 जुलाई है. इसके बाद मतदाता सूची जारी की जाएगी. वहीं मतदाता सूची से 35 लाख से ज्यादा नाम हटाए जाने को लेकर सियासी घमासान देखने को मिल सकता है. विपक्ष पहले से ही इस अभियान का विरोध कर रहा है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का आरोप है कि एनडीए सरकार के दबाव में चुनाव आयोग यह काम कर रहा है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई चल रही है. कोर्ट ने इस अभियान पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया था. हालां कोर्ट में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.
