लगभग 39 वर्षों से लंबित राजस्व घोटाले के एक मामले में आखिरकार आरोपी को न्याय मिल गया। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी डॉ. अभिनव कुमार की अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई पूरी करते हुए सीतामढ़ी जिले के नानपुर थाना क्षेत्र के शरीफपुर गांव निवासी सह बिहार राज्य सहकारी भूमि निबंधन बैंक समिति, बेलसंड के तत्कालीन फील्ड ऑफिसर अबुल ओला के पुत्र बदरुल ओला को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया।
मामला क्या था?
जानकारी के अनुसार वर्ष 1986 में बैंक से जुड़ा एक राजस्व घोटाला प्रकाश में आया था। बाद में वर्ष 1993 में रून्नीसैदपुर थाना क्षेत्र के मौना गांव निवासी मो. यूसुफ ने अदालत में परिवाद पत्र दायर कर इस प्रकरण की विधिवत सुनवाई की मांग की।
इस मुकदमे में जिन लोगों को आरोपित किया गया, उनमें –
- बैंक ऑफिसर उमेश सिंह,
- मुजफ्फरपुर जिले के खड़का गांव निवासी मो. शोएब,
- पटना के एग्जीबिशन रोड स्थित भारतीय इंटरप्राइजेज के मालिक अशोक सिंह,
के अलावा शरीफपुर गांव निवासी बदरुल ओला भी शामिल थे।
अदालत का निर्णय
कई वर्षों तक चले इस प्रकरण में अभियोजन व बचाव पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने पाया कि आरोप सिद्ध करने लायक ठोस साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं।
इसी आधार पर अदालत ने आरोपी बदरुल ओला को बरी करने का आदेश दिया।
लंबा इंतजार, फिर मिला न्याय
करीब चार दशक से न्यायालय का चक्कर काट रहे आरोपी और उनके परिवार के लिए यह फैसला राहत की खबर बनकर आया है। इस निर्णय को स्थानीय लोगों ने न्याय की जीत बताया।
बताया गया है कि वर्ष 1993 में रून्नीसैदपुर थाना क्षेत्र के मौना गांव निवासी मो. यूसुफ ने कोर्ट में परिवाद पत्र दाखिल करके बिहार राज्य सहकारी भूमि निबंधन बैंक समिति, बेलसंड के बैंक ऑफिसर उमेश सिंह, मुजफ्फरपुर जिले के खड़का गांव निवासी मो शोएब, पटना के भारतीय इंटरप्राइजेज एग्जीबिशन रोड के मालिक अशोक सिंह को आरोपित किया था।
