अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में कहा, “जब आपको ज़रूरत होती है, तब आपको पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू का सहारा लेना पड़ता है. अगर आप वाकई में नेहरू जी का सहारा बराबर लेते रहते तो आज हिंदुस्तान में मणिपुर और हरियाणा नहीं देखना पड़ता.”
सदन में दिए अमित शाह के बयान के बाद आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने भी उन पर तंज कसा और कहा कि उन्हें अपनी ही पार्टी के नेताओं के पूर्व में दिए गए बयान पढ़ने की ज़रूरत है.
राघव चड्ढा ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा “उन्होंने कोई बयान और पुरानी समिति की रिपोर्ट निकाल कर नेहरू और सरदार पटेल के बयान निकालकर कहा कि दिल्ली को अलग राज्य नहीं बनाना चाहिए.”
“मैं उनसे कहना चाहता हूं कि 1930-40 के दशक में उनके बयान देखने की बजाय आप 1980-90 और 2000 के दशक के अपने नेताओं के बयान देख लें. लाल कृष्ण आडवाणी ने 2003 में दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग की थी और दिल्ली स्टेटहुड बिल लाए थे. साहेब सिंह वर्मा, मदनलाल खुराना जो इस पार्टी के बड़े नेता रहे, अमित शाह उनके बयान पढ़ लें, उन्हें पंडित नेहरू के बयानों तक जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.”
इससे पहले गुरुवार को लोकसभा में अमित शाह ने कहा था, “आज़ादी के बाद पट्टाभि सीतारमैया समिति ने दिल्ली को राज्य स्तर का दर्जा देने की सिफारिश की थी, लेकिन जब ये सिफारिश सदन के सामने आई तक जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, राजाजी, राजेन्द्र प्रसाद और भीमराव आंबेडकर ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि ये उचित नहीं होगा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए.”