UPSC अर्थात यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन, संघ लोक सेवा आयोग द्वारा प्रतिवर्ष एक विशेष परीक्षा आयोजित कराई जाती है, जिसे हम आम भाषा में सिविल सर्विस एग्जाम कहते हैं। इस परीक्षा पास करना हर अभ्यर्थी के लिए एक सपने जैसा होता है, क्योंकि ये परीक्षा देश की सर्वाधिक कठिन व महत्त्वपूर्ण परीक्षाओं में से एक है। प्रतिवर्ष हजारों की तादाद में छात्र-छात्राएँ यह एग्जाम देते हैं। इस परीक्षा का परिणाम घोषित होने पर हर वर्ष टॉप करने वाले और अच्छी रैंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की खबरें सारे न्यूज़पेपर और मीडिया में छाई होती है।
उन हजारों प्रतिभागियों में से कुछ सौ प्रतिभागी ही इसकी प्री परीक्षा में सेलेक्ट हो पाते हैं, फिर उसके बाद मेंस एग्जाम व इंटरव्यू पास करके कुछ चुनिंदा उम्मीदवार ही IAS अथवा IPS बन पाते हैं। असल में उनका सलेक्शन रैंक के आधार पर होता है। पर क्या आप जानते हैं कि यूपीएससी (UPSC Exam) परीक्षा में ये रैंक कैसे डिसाइड की जाती है? कौन-सी रैंक प्राप्त करने पर IAS और IPS कैडर मिलता है? तो चलिए आज हम आपको IAS-IPS कैडर के सलेक्शन किए जाने के फार्मूले को सिंपल तरीके से समझाते हैं कि यह रैंक आख़िर कैसे निर्धारित की जाती है…
24 सर्विसेज के लिए होता है चयन
UPSC में रैंक का निर्धारण कैसे होता है ये जानकारी देने से पहले आपको बता दें कि यह परीक्षा उत्तीर्ण करके उम्मीदवार सिविल सेवाओं में चुने जाते हैं, अर्थात इसमें कुल 24 सेवाओं हेतु प्रतिभागियों का सलेक्शन किया जाता है। ये चौबीस सर्विसेज दो कैटेगरी में डिवाइड की जाती है, उनमें से फर्स्ट होती है, ऑल इंडिया सर्विसेज (All India Services) , जिसमें IAS (इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज) व IPS (इंडियन पुलिस सर्विसेज) भी शामिल हैं। इस कैटेगरी में जिन लोगों का सिलेक्शन होता है, उन्हें राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों का कैडर मिलता है। दूसरी कैटेगरी की सर्विस होती है, सेंट्रल सर्विसेज (Central Services) , जिसके अंतर्गत Group A और Group B की सेवाएँ शामिल होती हैं।
Group A के अंतर्गत इंडियन फॉरेन सर्विस (IFS) , इंडियन सिविल एकाउंट्स सर्विस, इंडियन रेवेन्यू सर्विस (इनकम टैक्स वाली पोस्ट्स) , इंडियन रेलवे सर्विस (IRTS और IRPS) तथा इंडियन इनफार्मेशन सर्विस (IIS) इत्यादि सेवाएँ शामिल होती हैं। Group B के अंतर्गत आर्म्ड फोर्सेज हेडक्वार्टर्स सिविल सर्विस, पुडुचेरी सिविल सर्विस, दिल्ली एंड अंडमान निकोबार आइलैंड सिविल तथा पुलिस सर्विस इत्यादि सेवाएँ शामिल होती हैं।
पहले होंगे प्रीलिम्स एग्जाम
UPSC में आपको 2 एग्जाम देने होते हैं। इसमें से पहले होते हैं प्रीलिम्स यानी प्रीलिमिनरी एग्जाम। ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद आप प्रीलिम्स एग्जाम दे सकते हैं। इस परीक्षा में 2-2 घंटे के दो पेपर लिए जाते हैं। पहले पेपर के मार्क्स के आधार पर ही उनकी कटऑफ तैयार होती है, जो दूसरा एग्जाम दे सकते हैं। फिर दूसरा पेपर यानी CSAT एक क्वालीफाइंग पेपर होता है, जिसे क्वालीफाई करने के लिए आपको कम से कम 33 प्रतिशत मार्क्स लाने होते हैं।
फिर एक बात का ध्यान रखना आवश्यक होता है कि अगर पहले पेपर में आप ने कट ऑफ क्लियर कर लिया, पर दूसरे पेपर में आप पास नहीं हो पाते हैं, तो आपका प्रीलिम्स क्लियर नहीं माना जाएगा। अतः मेंस परीक्षा से पहले आपको यह दोनों पेपर पास करना ज़रूरी है। बता दें कि ये दोनों पेपर एक ही दिन दो अलग-अलग शिफ्ट्स में लिए जाते हैं।
अब देने होते हैं मेंस एग्जाम…
प्रीलिम्स क्लियर करने के बाद देने होते हैं मेंस एग्जाम। इसमें आपके पूरे साल की पढ़ाई काम आ जायेगी। कहा जाए तो ये एग्जाम पास करना प्रतिभागियों के लिए काफ़ी बड़ी चुनौती होती है। इसमें सर्वप्रथम 2 पेपर भाषा के होते हैं, जो क्वालिफाइंग पेपर होते हैं अर्थात इन दोनों पेपर्स में ही आपको 33 प्रतिशत मार्क्स लाना आवश्यक होता है। यद्यपि इन पेपर्स के मार्क्स मेरिट लिस्ट में काउंट नहीं किए जाते हैं। इनमें आपको तीन-तीन घंटे का समय मिलता है। यह दो लैंग्वेज के होते हैं एक इंडियन / रीजनल लैंग्वेज तथा दूसरी इंग्लिश लैंग्वेज।
फिर होता है एक निबंध का पेपर, जिसमें आपको 3 घंटे में दो निबंध लिखने होते हैं। यह दोनों ही निबंध आपको अलग-अलग विषयों पर लिखने होते हैं, हालांकि आपको विकल्प दिए जाते हैं उसमें से आप अपनी पसंद का विषय चुनकर निबंध लिख सकते हैं। इसके बाद 4 सामान्य ज्ञान के पेपर होते हैं, जिनमें से प्रत्येक के लिए 3 घंटे का समय मिलता है। वैसे एक दिन में 2 से अधिक पेपर हो नहीं सकते हैं, इसलिए टाइमटेबल उसी के अनुसार बनाया जाता है।
अब अंत में होता है ऑप्शनल पेपर यानी वैकल्पिक विषय। ऑप्शन पेपर में दो पेपर होते हैं-Paper 1 व Paper 2. यह ऐसा विषय होता है जो आपको ख़ुद को अपने लिए चुनना होता है। बता दें कि मेंस एग्जाम में लैंग्वेज पेपर्स को छोड़ अन्य सभी पेपर्स के मार्क्स जुड़कर फिर मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है। कुल मिलाकर देखा जाए तो 5-7 दिन में ये सारे 27 घंटे के एग्जाम समाप्त हो जाते हैं। एग्जाम के बीच में सन्डे अथवा नेशनल हॉलिडे का को पेपर की छुट्टी रहती है। ये एग्जाम होने के बाद मेंस का परिणाम आ जाता है।
मेंस के बाद इंटरव्यू
अगर आप मेंस में पास हो जाते हैं, तो अब आपको पर्सनेलिटी टेस्ट देने के-के लिए एक फॉर्म भरना होता है, तभी आपका पर्सनैलिटी टेस्ट लिया जाता है। इस फॉर्म को DAF यानी डिटेल एप्लीकेशन फार्म कहते हैं, जिसमें आपके द्वारा भरी गयी इन्फॉर्मेशन के आधार पर ही इंटरव्यू में आपसे प्रश्न पूछे जाते हैं। इस एप्लीकेशन फॉर्म में आपकी हॉबीज, बैकग्राउंड व शिक्षा के बारे में भी पूछा जाता है, फिर एग्जामिनर आपसे इनसे जुड़े सवाल भी करता है। इंटरव्यू देने के बाद ही आपका पूरा रिजल्ट बनता है और इसी के आधार पर आपको रैंकिंग दी जाती है।
कैसे निर्धारित होती हैं रैंकिंग…?
रैंकिंग असल में वैकेंसी पर आधारित होती है यानी किस वर्ष किसी पद के लिए कितनी वैकेंसीज़ निकलती हैं तथा इसके अलावा विभिन्न कैटेगिरी जैसे जनरल कैटेगरी, SC, ST, OBC व EWS में जितने उम्मीदवारों ने जो भी विकल्प सलेक्ट किया है, उसी पर रैंकिंग निर्भर करती है। साथ ही आपने मेन परीक्षा का आवेदन फॉर्म भरते वक़्त अपनी पहली प्रेफरेंस जैसे IAS, IFS अथवा IPS जो भी भरा होता है, उसे भी ध्यान में रखा जाता है। फिर मेरिट लिस्ट तैयार होती है। इस लिस्ट में जिनके सबसे ज़्यादा मार्क्स आते हैं, उन्हें IAS और IFS रैंक दी जाती है। फिर इसी लिस्ट के अनुसार घटते हुए मार्क्स के साथ अन्य सभी पोस्ट एलॉट की जाती है।
हाँ लेकिन ऐसा भी ज़रूरी नहीं होता है कि यदि सिविल सेवाओं में 100 पद रिक्त हैं और मान लीजिए उनमें से 30 पोस्ट IAS के लिए खाली हैं, तो लिस्ट में टॉप के 30 उम्मीदवारों को ही IAS पोस्ट मिलेगी, क्योंकि यह भी सम्भव है कि उन टॉप 30 उम्मीदवारों में से कुछ लोगों की प्रेफरेंस दूसरी हो, जैसे वे IAS की बजाय IPS या IRS बनना चाहते हों।
रैंकिंग के लिए होता है तगड़ा कम्पीटिशन
प्रतिवर्ष UPSC में वैकेंसीज की संख्या भिन्न-भिन्न होती है। जैसे यदि वर्ष 2005 में 457 वैकेंसी थीं तो 2014 में बढ़कर 1364 हो गईं थीं, लेकिन वैकेंसी के साथ ही साथ परीक्षा देने वाले प्रतिभागियों की संख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी हुई। हर वर्ष सिविल सेवाओं में वैकेंसी के मुताबिक ही मेंस परीक्षा व इंटरव्यू देने वालों की संख्या निर्धारित होती है।
उदाहरण के लिए, यदि 100 पदों के लिए वैकेंसी है, तो इसके लिए लगभग 12-13 गुना प्रतिभागियों को मेन एग्जाम देने हेतु सलेक्ट किया जाएगा। फिर उनमें से 250 उम्मीदवार इंटरव्यू राउंड के लिए सलेक्ट होंगे और फिर उन्हीं में से चयनित होकर फाइनल रैंक की लिस्ट बनाई जाएगी। वैसे यह केवल एक उदाहरण है, ताकि आपको अंदाजा हो सके कि रैंकिंग के लिए कितनी अधिक प्रतिस्पर्धा होती है.