बिहार की पहली महिला कैब ड्राइवर अर्चना पांडेय आज लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन गई हैं। जी हां बताते चलें कि राजधानी पटना के अनीशाबाद की रहने वाली अर्चना पांडेय आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। ड्राइविंग का शौक पहले से था, इसलिए आजीविका के लिए कैब चलाने का निर्णय लिया। कम उम्र में शादी हो गई, इसके बाद भी परेशानी कम नहीं हुई। बाद में परिवार की ऐसी स्थिति बनी कि सबसे पहले नौकरी करनी पड़ी। इसके बाद मसाला का बिजनेस शुरू किया, लेकिन पूंजी की आवश्यकता महसूस किया। जिसके बाद कैब चलाने का निर्णय लिया।
अर्चना पांडेय के मुताबिक जब लड़के कैब चला सकते हैं तो वह क्यों नहीं। इसके बाद ही उन्होंने कैब चलाना शुरू कर दिया। हालांकि इसको लेकर अर्चना को लोगों के ताने भी सुनने पड़े, मगर इससे बेपरवाह अर्चना कैब चलाकर आत्मनिर्भर बन गई। अर्चना को कैब चलाते हुए दो साल हो गए हैं। पहले जहां कुछ लोगों द्वारा ताने सुनना पड़ता था , वहीं बहुत से लोग अर्चना के काम की तारीफ भी करते हैं।
अर्चना पांडेय का सफर इतना आसान नहीं रहा हैं। तीन बेटियों और एक बेटे का भरण-पोषण खुद काम कर के उठाई हैं। चार बच्चों की जिम्मेदारी उनके कंधों पर हैं। ड्राइविंग में रूचि रखने वाली अर्चना ने मारूति 800 लोन पर निकाली और कैब ड्राइवर बन गई। अभी तक अर्चना कैब लेकर बिहार से अलग-अलग 7 राज्यों में जा चुकी हैं। मारूति 800 की ड्राइविंग सीट पर बैठकर अर्चना अपने सपनों की गियर बदल रही हैं। बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के वास्ते प्रयासरत हैं। अर्चना को जहां की बुकिंग मिलती हैं जाने को तैयार रहती हैं।
यहीं नहीं अर्चना खुद तो आत्मनिर्भर बनी हैं, वहीं अन्य महिलाएं जो आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं, उसे सहयोग करना चाहती हैं। महिलाएं अगर ट्रेनिंग लेना चाहती हैं। अर्चना के मुताबिक उन महिलाओं को ट्रेंड करूंगी, गाडियां लोन पर निकालूंगी, जिसके बाद इस क्षेत्र में महिलाओं को रोजगार दूंगी। आज अपने हुनर की बदौलत अर्चना रोजगार के साथ-साथ सपनों की उड़ान भर रही हैं। अर्चना के जज्बे को सलाम।