बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले से जुड़े शेल्टर होम केस में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने एक नई एफ़आईआर दर्ज की है.समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, ये एफ़आईआर शेल्टर होम से जुड़े अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज की गई है.
साल 2018 का ये मामला शेल्टर होम में रह रहीं लड़कियों के बड़े पैमाने पर यौन शोषण की वजह से सुर्खियों में आया था.सीबीआई की नई एफ़आईआर एक गुमशुदा लड़की के मामले से जुड़ी हुई है.इस केस में शेल्टर होम के कुछ अधिकारियों ने फर्जी दस्तावेज़ों के सहारे ये दिखलाने की कोशिश की थी कि वो लड़की साल 2015 में अपने परिवार के साथ चल गई थी.
सीबीआई की एक विशेष अदालत ने साल 2020 में मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम से जुड़े एक केस में ब्रजेश ठाकुर को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी.ब्रजेश ठाकुर का एनजीओ ये शेल्टर होम ‘बालिका गृह’ चलाता था.सीबीआई ने अपनी जांच के दौरान ये पाया कि शारीरिक और मानसिक तौर पर बीमार एक लड़की ग़ायब है.
जांच में ये बात सामने आई कि शेल्टर होम के अधिकारियों ने जिन लोगों को उस लड़की के माता-पिता के तौर पर दस्तावेज़ों में पेश किया, उनके वोटर आईडी कार्ड फर्जी थे.
यहां तक कि लड़की के माता-पिता के रूप में खड़े होने वाले व्यक्तियों की पहचान जिस नथुनी मुखिया ने की थी, उस आदमी का भी कोई अता-पता नहीं था.सीबीआई का आरोप है कि संबंधित दस्तावेज़ों पर सीतामढ़ के चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के तत्कालीन चेयरपर्सन के हस्ताक्षर भी मौजूद नहीं थे.