सीतामढी : सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान मंगलवार से नहाय-खाय से आरंभ हो जाएगा। शहर के घाटों पर छठ गीत गाते व्रती नहाय-खाय के साथ व्रत को आरंभ करेंगी।
पंडित प्रभात मिश्र ने पंचांग के हवाले से बताया कि चैत्र शुक्ल चतुर्थी पांच अप्रैल को सर्वार्थ सिद्धि व रवि योग के पुण्यकारी संयोग में नहाय-खाय होगा। व्रती गंगा स्नान करने के बाद भगवान सूर्य को अघ्र्य एवं पूजा अर्चना करने के बाद अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी ग्रहण करेंगी। छह अप्रैल को रोहिणी नक्षत्र व आयुष्मान योग में पूरे दिन उपवास करने के बाद शाम में खरना का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास व्रत का संकल्प लेंगी। चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि सात अप्रैल को छठ व्रती अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य को अघ्र्य देंगी। आठ अप्रैल को उदयीमान सूर्य को अघ्र्य देकर चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ का समापन करेंगी।
चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि को मां कात्यायनी की पूजा : चैत्र नवरात्र के छठे दिन यानी चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि को मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। वहीं, प्राचीन समय से इस दिन सूर्य देव की भी पूजा होते रही है जिसे सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार छठी मइया को ब्रह्मा का मानस पुत्री कहा जाता है। ये वही देवी हैं जिनकी पूजा नवरात्र में षष्ठी तिथि को मां कात्ययानी के रूप में की जाती है। इनकी पूजा करने से संतान की प्राप्ति व संतान को लंबी उम्र प्राप्त होती है। मान्यता के अनुसार सूर्य देव की बहन के रूप में छठी मइया को जाना जाता है। छठ पर्व के मौके पर भगवान सूर्य और छठी मइया की पूजा अर्चना करने से व्रती को पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
Source : Dainik Jagran