बिहार में कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले बड़े स्तर पर जनता को जोड़ने की तैयारी शुरू कर दी है. सोमवार को पटना में कांग्रेस ने ‘हर घर अधिकार’ अभियान की शुरुआत की. इस अभियान को बिहार प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावारू और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने मिलकर लॉन्च किया. कार्यक्रम में कांग्रेस की कई जनकल्याणकारी गारंटी योजनाओं का एलान किया गया.
प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने इस अवसर पर बताया कि कांग्रेस जनता के सामने “गारंटियों का गुलदस्ता” लेकर आई है. इसमें मुख्य रूप से ‘माई बहन मान योजना’ के तहत हर महिला को ₹2500 प्रतिमाह देने का वादा किया गया है. इसके अलावा वृद्ध और दिव्यांगों को ₹1500 मासिक पेंशन, 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली, 25 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज बीमा और भूमिहीनों को पांच डिसमिल जमीन दिए जाने का भरोसा दिया गया है.
राजेश राम ने कहा कि कांग्रेस अब रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं को भी “अधिकार” बनाने की दिशा में काम करेगी. उन्होंने कहा कि जैसे कांग्रेस ने देश को शिक्षा, भोजन और सूचना का अधिकार दिया था, वैसे ही अब बिहार में स्वास्थ्य और रोजगार को भी कानूनी अधिकार दिलवाएगी.
कांग्रेस ने यह भी एलान किया कि राज्य में स्टार्टअप फंड बनाया जाएगा ताकि युवाओं को स्वरोजगार के अवसर मिलें. साथ ही किसानों की फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सुनिश्चित करने की बात भी गारंटी के रूप में की गई.
प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने बताया कि ‘हर घर अधिकार’ अभियान माइक्रो लेवल पर चलेगा. इसमें गांव-गांव जाकर लोगों से संपर्क किया जाएगा. ‘चौपाल’, ‘हर घर कांग्रेस का झंडा’, ‘माई बहन मान योजना’ जैसे पुराने अभियानों को भी जारी रखा जाएगा.
अभियान के पहले बिहार कांग्रेस ने एक वृहद बैठक की, जिसमें कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान, विधान परिषद नेता मदन मोहन झा, प्रभारी सचिव सुशील पासी, अभय दुबे, शाहनवाज आलम, देवेंद्र यादव, पूनम पासवान सहित सभी जिला प्रभारियों और ऑब्जर्वरों ने हिस्सा लिया. सभी ने मिलकर रणनीति पर चर्चा की और सुझाव दिए.
अभियान को हर जिले में ज़ोर-शोर से चलाया जाएगा. कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ वादा नहीं बल्कि एक जन अधिकार आंदोलन की शुरुआत है. पार्टी ने लोगों से अपील की है कि वे इन गारंटियों को जानें, समझें और अपने अधिकार की लड़ाई में कांग्रेस का साथ दें.
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि इस अभियान के जरिए जनता के वास्तविक मुद्दों जैसे बेरोजगारी, महंगी चिकित्सा, किसानों की समस्याएं, महिलाओं की आर्थिक भागीदारी – को सीधे जोड़कर विधानसभा चुनाव में जगह दी जाएगी. सभी जिलों से मिले सुझावों को भी चुनावी एजेंडे में शामिल किया जाएगा.
