भोजपुरी एक्टर और सिंगर पवन सिंह बिहार विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा सकते हैं। उन्होंने मंंगलवार को राजधानी नई दिल्ली में पहले राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और बीजेपी के नेता विनोद तावड़े से मुलाकात की है। इसके बाद वह दोपहर में रक्षा मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मिले। इन मुलाकातों को लेकर जब मीडिया ने पटना में तेज प्रताप यादव से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि वह लगातार किसी न किसी के पैरों में गिर रहे हैं।
तेजप्रताप ने कहा, “इन लोगों का यही काम है, कलाकार का और खास तौर पर जिस व्यक्ति का आपने नाम लिया पवन सिंह का, वो लखनऊ में हमारे पैर में गिरे हुए थे। फिर दोबारा किसी के पैर में गिर रहे हैं, लगातार किसी न किसी के पैर में गिर रहे हैं। इनको समझ में नहीं आ रहा है, इनकी बुद्धि और विवेक काम नहीं कर रहा है। ये क्या करेंगे, नहीं करेंगे ये पवन सिंह जी जानेंगे। वो कलाकार हैं, उनको कलाकारी करनी चाहिए, कहां वो चुनाव में पड़ रहे हैं।”
बीजेपी में थे, बीजेपी में रहेंगे पवन सिंह- विनोद तावड़े
पवन सिंह और उपेंंद्र कुशवाहा की मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में विनोद तावड़े ने कहा कि पवन सिंह बीजेपी में थे और बीजेपी में रहेंगे। उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा से उन्हें आशीर्वाद दिया है। आने वाले चुनाव में पवन सिंह बीजेपी कार्यकर्ता के नेता सक्रिय रूप से काम करेंगे।
निर्दलीय चुनाव लड़ने पर बीजेपी ने पार्टी से निकाला था
पवन सिंह पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में काराकाट सीट से चुनाव लड़े थे। इसी वजह से बीजेपी ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था। काराकाट लोकसभा सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहीं से उपेंद्र कुशवाहा ने चुनाव लड़ा था। पवन सिंह के चुनाव लड़ने की वजह से यहां वोटों का बंटवारा हुआ और सीपीआई (एम-एल) (एल) के राजा राम सिंह एक लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीत गए।
काराकाट लोकसभा सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (एम-एल) (एल) के राजाराम सिंह ने 3,80,581 वोट हासिल कर जीत दर्ज की। उन्होंने 1,05,858 वोटों से पवन सिंह को हराया। पवन सिंह को काराकाट लोकसभा सीट पर 2,74,723 वोट जबकि तीसरे स्थान पर रहे उपेंद्र कुशवाहा को 2,53,876 वोट हासिल हुए।
पवन सिंह बिहार को किस सीट से उतारेगी बीजेपी?
पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा में सुलह के साथ ही अब इस बात पर चर्चा होने लगी है कि वो किस सीट से चुनाव लड़ेंगे। माना जा रहा है कि बीजेपी ने उन्हें आरा या आसपास की किसी सीट से चुनावी रण में उतारा सकती है। आरा को बीजेपी का गढ़ माना जाता है, यहां साल 2000 से बीजेपी के अमरेंद्र प्रताप सिंह लगातार जीत दर्ज कर रहे हैं। साल 2015 में नीतीश कुमार के राजद से हाथ मिलाने के यहां बीजेपी को नुकसान हुआ था, इस साल यहांं अमरेंद्र करीबी मुकाबले में राजद के मोहम्मद नवाज आलम से 666 वोटों से हार गए थे।
