मेहनत अगर सच्चे इरादे के साथ की जाए तो सफलता जरूर मिलती है. यूपीएससी की हमारी श्रंखला में आपने कई सफलताओं की कहानियां पढ़ी होंगी लेकिन आज जिस शख्स के बारे में आपको हम बताने जा रहे हैं. उसकी सफलता की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा साबित हो सकती है, जो मुश्किल हालातों या गरीबी के आगे अपने सपनों को साकार नहीं कर पाते हैं. आज हम जिस आईपीएस अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं उनका नाम किशोर कुमार रजक है.
किशोर कुमार एक ऐसे इलाके से आते हैं जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. गरीबी इतनी कि उन्हें अपने बचपन के दिनों में मजदूरी करनी पड़ी. लेकिन मेहनत और लगन के इतने पक्के थे पहली ही बार में अधिकारी पद हासिल कर ली. आइए जानते हैं किशोर कुमार रजक ने कैसे सफलता हासिल कर ली.
कौन हैं किशोर कुमार रजक
किशोर कुमार रजक झारखंड के बोकारो जिले के एक छोटे से गांव बुड्ढीबिनोर के रहने वाले हैं। उनका गांव चंदनकेर विधानसभा के अन्तर्गत आता है। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। किशोर के पिता का नाम दुर्योधन और माता का नाम रेणुका देवी है। पिता कोयला खदान में मजदूरी का काम करते हैं तो मां घर संभालती हैं। परिवार में माता पिता के अलावा किशोर के 4 भाई और एक बहन है। किशोर घर में सबसे छोटे थे हालांकि मेहनत करने वालों में वो सबसे आगे थे।
बड़ा परिवार होने के चलते पिता जो भी कमाते थे, वो बच्चों के भरण पोषण में ही खर्च हो जाता था। उनकी शुरूआती पढ़ाई गांव के ही एक स्कूल में हुई. किशोर बताते हैं कि ये स्कूल देखने में ज्यादा अच्छा नहीं था. बारिश के वक्त इस स्कूल की छत से पानी गिरा करता था. वहीं, जब ये छोटे थे तो पिता के साथ खेतों पर काम करने जाते थे और जो समय मिलता था उसमें पालतू जानवर चराने जाते थे। इस बीच उन्हें पढ़ाई के लिए रात का समय ही मिल पाता था। वो कहते हैं पैसों के आभाव में घर में बिजली नहीं थी तो रात में दिए या लैम्प की मदद से पढ़ाई करता था. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई खत्म करने के बाद इग्नू से स्नातक की परीक्षा पास की.
गरीबी के कारण शुरुआती पढ़ाई में उनके अंक ज्यादा अच्छे नहीं आए लेकिन बाद में उन्होंने अपने अकेडमिक को सुधार लिया. साल 2007 में सेमेस्टर की पढ़ाई में वो फेल हो गए. हालांकि साल 2008 में उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल कर ली. किशोर कहते हैं कि बचपन में एक टीचर ने क्लास में उन्हें बताया था कि अगर मजदूरी करोगे तो मजदूर बने रहोगे. टीचर की इस सीख ने उनको बहुत प्रभावित किया. किशोर ने बचपन से ही बड़ा अधिकारी बनने का विचार कर लिया था.
स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद किशोर कुमार रजक यूपीएससी की तैयारी करना चाहते थे. अपनी यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली आ गए. लेकिन उनके पास तैयारी के लिए रुपए नहीं थे. आर्थिक तंगी की वजह से उन्होंने अपनी दीदी से कुछ रुपए मांगे. उनकी बड़ी बहन पुष्पा ने भाई की मदद के लिए गुल्लक तोड़ दिया. बहन ने बचत के करीब 4 हजार रुपए निकालकर किशोर को दिल्ली जाने के लिए दे दिए. उन रुपयों को लेकर किशोर दिल्ली पहुंचे और यूपीएससी की तैयारियों में जुट गए.
यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद भी नहीं मिली सफलता
बड़ी बहन से 4 हजार रुपए लेकर किशोर दिल्ली आकर यूपीएससी की तैयारी करने लगे. यहां पर वो एक मकान में किराए पर रहते थे. जहां वो बच्चों को कोचिंग पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्च निकालते थे. बाकी समय खुद की पढ़ाई के लिए देते थे. मेहनत और लगन के पक्के किशोर को कुछ सालों बाद सफलता मिली. साल 2011 में किशोर ने 419वीं रैंक के साथ यूपीएससी की परीक्षा पास की. इस रैंक को पाकर वो आईएएस या आईपीएस अधिकारी तो नहीं बन पाए.
लेकिन उनकी सशस्त्र सीमा बल के असिस्टेंट कमांडेट पर नौकरी लग गए. फिर वो एक साल की एसएसबी की ट्रेनिंग के लिए चले गए. जब वो ट्रेनिंग कर रहे थे तब उन्हें अहसास हुआ कि उन्हें अपने राज्य के लोगों के लिए कुछ करना चाहिए. इस कारण उन्होंने बीच में ही ट्रेनिंग छोड़ दी और दिल्ली जाकर फिर से यूपीएससी की तैयारी शुरु कर दी. साल 2015 में एक बार फिर उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी. इस परीक्षा में उन्होंने प्री और मेन्स की परीक्षा तो पास कर ली लेकिन इंटरव्यू में वो सफल नहीं हो पाए.
पीसीएस परीक्षा में टॉप कर बने डीएसपी
किशोर कुमार को जब लगा कि उनके लिए यूपीएससी परीक्षा नहीं बनी है. तो उन्होंने दिल्ली से झारखंड वापस आने का फैसला किया. झारखंड के एक कोचिंग संस्थान में वो बच्चों को पढ़ाने लगे. इसके अलावा वो स्टेट पीसीएस परीक्षा की तैयारी में भी जुट गए. साल 2016 में उन्होंने स्टेट पीसीएस की परीक्षा में टॉप किया. इसी के साथ वो झारखंड पुलिस में डीएसपी में अधिकारी के पद पर तैनात हो गए.
फिलहाल वो झारखंड पुलिस के स्पेशल इंडियन रिजर्व बटालियन (SIRB) में कार्यरत हैं। उनकी इस सफलता के बाद परिवार को अपने बेटे पर बहुत गर्व है. उनके पिता कहते हैं कि जिन मुश्किल हालातों का सामना कर मेरे बेटे ने सफलता हासिल की है, वो युवाओं के लिए एक नजीर है. साल 2017 में कोचिंग में पढ़ने वाली एक वर्षा नाम की एक लड़की के साथ शादी कर ली. वर्षा पेशे से एक वकील हैं. किशोर सोशल मीडिया में भी काफी छाए रहते हैं. ट्वीटर पर उनके 20 हजार से भी ज्यादा फॉलोवर्स हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से अकसर वो युवाओं को प्रेरणादायक कहानियां शेयर करते रहते हैं.