भारत में हर 10 साल के अंतराल पर जनगणना की प्रक्रिया पूरी की जाती है। हालांकि, 14 साल गुजर जाने के बाद भी सरकार जनगणना शुरु तक नहीं करवा पाई है। इसको लेकर संसद में भी विपक्ष ने कई सवाल उठाए। तय रुप से साल 2020 में ही इस प्रक्रिया की शुरुवात हो जानी चाहिए थी लेकिन सरकार ने कोविड-19 का हवाला देकर जनगणना नहीं करवा पाई। कोविड-19 महामरी के आतंक से अब देश बाहर निकल चुका है। ऐसे में अभी तक सरकार की ओर जनगणना की प्रक्रिया नहीं शुरु हो पाई है। इस बीच जनगणना को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। जानकारी के अनुसार, 2024 में ही सर्वे का काम शुरु कर दिया जाएगा। इसको लेकर सभी प्रकार के निर्देश दे दिए गए हैं। अब बस PMOका मुहर लगते ही जनगणना की प्रक्रिया को शुरु कर दी जाएगी।
18 महीनों में होगी जनगणना
माना जा रहा है कि अगर जनगणना करने का काम अगले महीने शुरु होता है तो इसे पूरा होने में 18 महीने को समय लगेगा। यानी अगर सर्वे का काम 2024 में शुरु होता है तो इसके नतीजे 2026 में ही सामने आ पाएगा। गौरतलब है कि, सर्वे की समय सीमा गृह मंत्रालय (जो जनगणना से जुड़े काम की कमान संभालता है) और मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन के द्वारा तय की गई है। हालांकि, मंत्रालय की ओर से सर्वे की तैयारी पूरी कर ली गई है। बस इंतजार पीएमओ से परमिशन का हो रहा है। PMO से इजाजत मिलते ही जनगणना शुरु कर दी जाएगी। गौरतलब है कि जनगणना में देरी के कारण विभिन्न अर्थशास्त्री सरकार की आलोचना कर चुके हैं।
जातीगत जनगणना करवाएगी सरकार?
शायद सरकार जनगणना करवाने से इसलिए भी बचना चाह रही है क्योंकि विपक्ष के साथ ही अपने गठबंधन के साथियों के द्वारा भी जातीगत जनगणना करवाने की मांग की जा रही है। कांग्रेस, सपा और राजद ने तो लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा एजेंडा जातीगत जनगणना को ही रखा था। केंद्र सरकार और खास कर भाजपा ना जातीगत जनगणना का खुल कर विरोध कर रहे हैं और ना ही समर्थन कर रहे हैं। हालांकि, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कुछ दिनों पहले ही लोसकभा में जातीगत जनगणना करवाने की मांग की थी। गौरतलब है कि बिहार में सरकार के द्वारा जातीगत सर्वे करवाई गई थी। जिसके बाद उसके आकंड़े भी जारी किए गए थे।