पटना जिले के मसौढ़ी अंचल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां ‘डॉग बाबू’ नाम से एक व्यक्ति के नाम पर सरकारी आवास प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया. यह मामला तब सामने आया जब आवास प्रमाण पत्र में नाम और फोटो के बीच तालमेल नहीं था और दस्तावेजों में भारी गड़बड़ी पाई गई.
जांच में पता चला कि दिल्ली की एक महिला के आधार कार्ड का इस्तेमाल कर किसी अज्ञात व्यक्ति ने 15 जुलाई को ऑनलाइन आवेदन किया. इस आवेदन के साथ जो दस्तावेज लगाए गए थे, उनकी न तो सही से जांच की गई और न ही कोई सत्यापन किया गया. इसके बावजूद अधिकारियों ने ‘डॉग बाबू’ नाम से आवास प्रमाण-पत्र जारी कर दिया.
जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम के निर्देश पर मामले की तत्काल जांच की गई. जांच में पाया गया कि आईटी सहायक और राजस्व अधिकारी ने डिजिटल हस्ताक्षर करने में लापरवाही बरती और नियमों को ताक पर रखकर प्रमाण-पत्र जारी कर दिया. इसके बाद आईटी सहायक को सेवा से मुक्त कर दिया गया, वहीं राजस्व अधिकारी मुरारी चौहान के निलंबन की अनुशंसा कर दी गई.
पटना प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अज्ञात आवेदक सहित दोनों अधिकारियों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 316(2), 336(3), 338 और 340(2) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है. मामले की जांच पुलिस कर रही है और दोषियों की पहचान कर सख्त कार्रवाई की जा रही है.
इस फर्जीवाड़े के बाद ‘डॉग बाबू’ के नाम पर जारी आवास प्रमाण-पत्र को रद्द कर दिया गया है. साथ ही बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि NIC के सर्विस प्लस पोर्टल पर दस्तावेजों के सत्यापन की प्रक्रिया सख्ती से लागू की जाए.
सरकार ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए आवेदनों की जांच में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद ली जाएगी. इससे दस्तावेजों के सत्यापन में मानवीय चूक की संभावना कम होगी और सिस्टम और पारदर्शी बनेगा.
