बिहार में वोटर लिस्ट को लेकर बवाल मचा है. बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयोग ने वोटर वेरिफिकेशन को अनिवार्य कर दिया. अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है. कोर्ट का कहना है कि हमें वोटर लिस्ट के रिवीजन पर आपत्ति नहीं है, लेकिन चुनाव के ठीक पहले ऐसा कदम उठाने पर सवाल है. आपने इतनी देरी क्यों की? इस पूरे मामले की शुरुआत 21 जून को जारी चुनाव आयोग के उस आदेश के बाद हुई है जिसमें वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने के लिए जिन 11 दस्तावेजों की सूची दी गई है, लेकिन उसमें आधार कार्ड और वोटर आईडी नहीं है.
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा. चुनाव आयोग का पक्ष रखने वाले वकील का कहना है कि सिर्फ आधार कार्ड से नागरिकता साबित नहीं होती है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाते हुए आप वोटर लिस्ट में नाम किसी शख्स की नागरिकता साबित होने पर डालेंगे तो यह एक बड़ी कसौटी बन जाएगी.
ऐसे में सवाल है कि दूसरे राज्यों में कैसे बनता है वोटर आईडी कार्ड, क्या इसमें आधार कार्ड की अनिवार्यता है या नहीं,बिहार में कौन-कौन से दस्तावेज मांगे गए है और कौनसी बातों पर मचा है बवाल?
कैसे बनता है वोटर आईडी कार्ड?
वोटर आईडी बनवाने के लिए पहचान, पता, उम्र से जुड़े दस्तावेजों के साथ पासपोर्ट साइज फोटो की मांग की जाती है. पहचान साबित करने के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड और पासपोर्ट में से किसी को भी पेश किया जा सकता है. वहीं, एड्रेस प्रूफ के तौर पर बिजली या रेंट बिल भी दिया जा सकता है. वहीं, उम्र को साबित करने के लिए 10वीं की मार्कशीट या जन्म प्रमाण पत्र देना होता है. इसके लिए 18 साल की उम्र पूरी होना अनिवार्य है.वोटर आईडी कार्ड बनवाने के 2 तरीके हैं.पहला, ऑनलाइन और दूसरा ऑफलाइन.
ऑनलाइन तरीका:ऑनलाइन तरीका अपनाते हैं तो पहले NVSP या Voter Portal https://voters.eci.gov.in/ https://www.nvsp.in/ पर जाना होगा. यहां कार्ड के लिए रजिस्ट्रेशन करना होगा. इसमें मोबाइल और ईमेल से रजिस्ट्रेशन कराना होगा. यहां पर फॉर्म-6 भरना होगा. और दूसरी जरूरी डिटेल भरने के साथ दस्तावेज अपलोड करना होगा. अब रेफरेंस आईडी जारी की जाएगी जिससे प्रॉसेस का स्टेटस ट्रैक किया जा सकता है. इसके बाद बूथ लेवल ऑफिसर आपके घर आकर डॉक्यूमेंट वेरिफाई करेगा. आवेदन सही पाए जाने पर 15 से 30 दिन के अंदर डिजिटल वोटर आईडी कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं.
आधार कार्ड को न मानने पर चुनाव आयोग का क्या है तर्क?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने तर्क दिया. चुनाव आयोग ने कहा, आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है. हमारा मकसद किसी को वोट देने के अधिकार से वंचित नहीं करना है, लेकिन आयोग के पास वोटर लिस्ट में संशोधन करने का पूरा अधिकार है. हालांकि, चुनाव आयोग ने यह भी भरोसा दिलाया है कि इस प्रक्रिया में नियमों का पालन किया जाएगा. बिना प्रक्रिया के किसी का नाम नहीं हटेगा. इलेक्शन कमीशन ने गैर-सरकारी संगठनों की याचिकाओं पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वे बिहार के मतदाता नहीं हैं.
