सीतामढ़ी में रंजन और इसके गिरोह के अपराधियों ने आतंक मचा रखा था। दिल्ली में एनकाउंटर के बाद दैनिक भास्कर की टीम सीतामढ़ी के सुरसंड थाना क्षेत्र के मलाही गांव पहुंची। इसी गांव में रंजन पाठक जन्मा, पला-बढ़ा और कुख्यात अपराधी बना।जिला मुख्यालय से 35KM दूर स्थित मलाही गांव में घुसते ही हमने देखा कि चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है। हमने गांव के एक व्यक्ति से रंजन पाठक के घर के बारे में पूछा तो वह बिना कुछ बोले ही किनारे हो गए। फिर हम थोड़ा और आगे बढ़े, गांव के एक बुजुर्ग से रंजन का घर पूछा तो उन्होंने इशारे करते हुए बता दिया, कैमरे पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुए। अब देखिए रंजन का घर…
बहन के ब्वॉयफ्रेंड की हत्या के बाद अपराध की दुनिया में घुसा
नया बना यह पक्का मकान रंजन पाठक का है। दरवाजा बंद है। दिल्ली वाली खबर आते ही गांव में सन्नाटा है। कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं। डर हर चेहरे पर साफ दिखता है। पहले भास्कर की टीम प्रेस लिखी गाड़ी और कैमरा के साथ पहुंची। लोगों ने बात करने से इनकार कर दिया। इसके बाद हम गांव के दूसरे छोर बिना माइक आईडी के साथ पहुंचे।
ऑफ कैमरा गांव के लोगों से बातचीत शुरू की। गांव के एक बुजुर्ग ने बताया, ‘रंजन का बचपन मलाही गांव में ही बीता। पढ़ाई-लिखाई में कमजोर था। मैट्रिक की परीक्षा में फेल हो गया था। दिन भर आवारागर्दी करता रहता। उसके अपराधी जीवन की शुरुआत 2018 में हुई।’
उसकी चचेरी बहन ऋतु पाठक का प्रेम संबंध अपने ही गांव के अभयनंदन सिंह उर्फ अभय सिंह से था। 2 साल तक दोनों का प्रेम प्रसंग चोरी-छिपे चला। इसी बीच रंजन को यह बात पता चली और इतनी नागवार गुजरी कि उसने गोली मारकर अभय सिंह की हत्या कर दी। इस वारदात ने पूरे इलाके को दहला दिया।”
अब जानिए कैसे–अपराध की दुनिया में आगे बढ़ा रंजन और गैंग बनाई
पुलिस की क्राइम हिस्ट्री के अनुसार, ‘अभय सिंह की हत्या के कुछ दिनों बाद रंजन पर जानलेवा हमला हुआ था। अभय के समर्थकों ने रंजन पर गोली चलाई। एक गोली उसके सिर को छूते हुए निकल गई। घायल रंजन छिपकर इलाज करा रहा था। पुलिस को पता चला तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया। रंजन करीब 5 साल जेल में रहा।
2024 में रंजन जेल से बाहर आया। वह सुधरने की जगह पूरी तरह अपराधी बन चुका था। 17 जुलाई 2024 को अवैध हथियार के साथ गिरफ्तार हुआ, पर जल्द ही जमानत पर बाहर आ गया। 19 नवंबर 2024 को पुलिस वाहन चेकिंग के दौरान दोबारा हथियार के साथ पकड़ा गया और जेल भेजा गया।
जेल से निकलने के बाद उसने अवैध शराब के धंधे में कदम रखा। इसी दौरान उसकी मुलाकात गाढ़ा थाना क्षेत्र के शशि कपूर झा (पिता फरिन्द्र झा) से हुई। दोनों ने मिलकर “सिग्मा एंड कंपनी” नाम का आपराधिक गिरोह बनाया। इसमें विमलेश महतो, अमन ठाकुर, राहुल झा, राकेश उर्फ लोहा सिंह, दीपक ठाकुर सहित कई कुख्यात अपराधी शामिल हुए। यह गिरोह सुपारी लेकर हत्या, रंगदारी और अवैध धंधों में संलिप्त था। रंजन को स्थानीय राजनीति में भी समर्थन प्राप्त था।”
शराब विवाद के चलते की आदित्य ठाकुर की हत्या
अवैध शराब के धंधे को लेकर रंजन का विवाद आदित्य ठाकुर से हो गया। इसी कारण 18 जुलाई 2025 को रंजन और उसके साथियों ने मिलकर आदित्य ठाकुर की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद रंजन और उसके गिरोह ने सीतामढ़ी में एक के बाद एक कई हत्याओं को अंजाम देकर आतंक फैला दिया।
रंजन के पिता मनोज पाठक भी हत्याकांड में आरोपी
रंजन के पिता मनोज पाठक पहले राजस्व कर्मचारी रह चुके हैं। गांव में सरपंच रहे हैं। इस समय रंजन की मां विमला देवी मलाही पंचायत की सरपंच हैं। पुलिस के अनुसार, आदित्य ठाकुर हत्याकांड में रंजन के पिता मनोज पाठक की भी संलिप्तता पाई गई थी। मनोज को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।
कैसा है रंजन पाठक परिवार?
रंजन के पिता मनोज पाठक सीतामढ़ी जिले में राजस्व कर्मचारी थे। अब गांव की राजनीति करते हैं। रंजन की मां विमला देवी मलाही पंचायत की सरपंच हैं। उनका मायका नेपाल के हरदिया गांव में है। मनोज पाठक का एक और बेटा हेमंत कुमार पाठक उर्फ प्रिंस है। 5 बेटियां हैं।
हत्या के बाद मीडिया को पर्चा भेज पुलिस को चुनौती देता था रंजन
रंजन पाठक और उसके गिरोह ने सीतामढ़ी में कई हाई-प्रोफाइल हत्याएं कीं। इनमें ब्रह्मर्षि समाज के पूर्व जिलाध्यक्ष गणेश शर्मा, मदन कुशवाहा और आदित्य ठाकुर की हत्याएं शामिल हैं। हर वारदात के बाद गिरोह “सिग्मा एंड कंपनी” के नाम से मीडिया में पर्चा भेजता। हत्याओं को “भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ बदला” बताने की कोशिश करता था।
रंजन ने अमरजीत कुमार उर्फ उज्ज्वल कुमार सिंह से 45 लाख रुपए रंगदारी मांगी थी। पैसे नहीं देने पर जान से मारने की धमकी दी थी। धीरे-धीरे रंजन पाठक सीतामढ़ी से दिल्ली तक अपराध जगत का चर्चित चेहरा बन गया। उसका गिरोह बिहार-नेपाल बॉर्डर तक सक्रिय था।
रंजन सोशल मीडिया और कॉल रिकॉर्ड के जरिए पुलिस को खुलेआम धमकी देता था। बिहार पुलिस को एक ऑडियो मिला था जिसमें वह विधानसभा चुनाव से पहले दहशत फैलाने की साजिश की बात कर रहा था। इसी इनपुट के बाद बिहार और दिल्ली पुलिस ने मिलकर उसके खिलाफ विशेष अभियान शुरू किया।
सिग्मा एंड कंपनी, अपराध का नया तंत्र
रंजन पाठक ने “सिग्मा एंड कंपनी” को सिर्फ एक गिरोह नहीं, बल्कि एक संगठन के रूप में तैयार किया था। उसके गिरोह के अपराधी हत्या, रंगदारी, अपहरण और अवैध शराब के धंधे में लगे थे। पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह सुपारी लेकर हत्याएं करता था।
रंजन पाठक के साथ मनीष पाठक, विमलेश महतो और अमन ठाकुर जैसे अपराधी जुड़े हुए थे। मनीष और विमलेश सीतामढ़ी में गिरोह की गतिविधियां संभालते थे। अमन दिल्ली में ठिकाने और सप्लाई चैन मैनेज करता था। पुलिस ने इन सभी पर 25-50 हजार रुपए इनाम घोषित किया था।
अब जानिए मनीष पाठक को–एक साल पहले हुई थी शादी
भास्कर की टीम रंजन पाठक के साथी मनीष पाठक के घर पहुंची। टूटे-फूटे खपरैल घर पर तला पड़ा हुआ है। दरवाजे की जगह बांस से बनी टाटी लगी है। मनीष के चाचा ने बताया कि मनीष बचपन से दिल्ली में रहता था। उसके परिवार के लोग अब गांव में नहीं रहते। गांव में सिर्फ एक पुराना घर है, जिसमें उनके कुल देवता हैं।
कैसा है मनीष पाठक का परिवार?
मनीष के पिता का नाम अरविंद पाठक है। वह दिल्ली के रघुबीर नगर में रहते हैं और बिजली के सामानों की दुकान चलाते हैं। मनीष की शादी एक साल पहले हुई थी। उसकी एक बेटी है। पुलिस रिकॉर्ड में उसका नाम चोरौत और डुमरा थाना क्षेत्र के दो मामलों में दर्ज है।
क्या कहते हैं रंजन और मनीष पाठक के गांव के लोग?
मलाही गांव के एक युवक ने मनीष से जुड़ी एक दो महीने पुरानी वीडियो लिंक दिखाई। इसमें मनीष के पिता बेटे पर पुलिस द्वारा झूठे स्मैक केस में गिरफ्तारी का आरोप लगा रहे थे। गांव के कुछ अन्य लोगों ने रंजन पाठक के बारे में कहा कि बाहर वह चाहे जो करता हो, लेकिन गांव में उसकी कोई बड़ी शिकायत नहीं थी। कुछ आपसी विवाद जरूर हुए, पर गांव में वह सबका मान रखने वाला माना जाता था। एक स्थानीय युवक ने कहा, “रंजन बाहर चाहे जो करता हो, लेकिन गांव में कभी किसी से दुश्मनी नहीं रखता था।”
क्या कहते हैं एसपी?
सीतामढ़ी एसपी अमित रंजन ने बताया कि 22/23 अक्टूबर 2025 की रात करीब 2:20 बजे दिल्ली के रोहिणी स्थित बहादुर शाह मार्ग पर सीतामढ़ी जिले के 4 कुख्यात अपराधियों और दिल्ली पुलिस अपराध शाखा व बिहार पुलिस की संयुक्त टीम के बीच मुठभेड़ हुई। इसमें ‘सिग्मा एंड कंपनी’ गिरोह के मुख्य शूटर रंजन पाठक, अमन ठाकुर, विमलेश महतो और मनीष पाठक गंभीर रूप से घायल हो गए। सभी को बीएसए हॉस्पिटल, रोहिणी में ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया।
एसपी ने बताया कि यह गिरोह पिछले 3 माह में सुपारी लेकर 5 हत्याएं और 2 रंगदारी की घटनाएं कर चुका था। इनके खिलाफ सबूत के रूप में एक ऑडियो क्लिप बरामद हुई है। इसमें रंजन पाठक चुनाव से पहले अशांति फैलाने की बात कर रहा था। गिरोह मीडिया में पर्चा जारी कर दहशत फैलाने का प्रयास कर रहा था। बिहार पुलिस इनकी तलाश में लुधियाना व दिल्ली में लगातार छापेमारी कर रही थी, तभी यह मुठभेड़ हुई।


