बिहार शराब कांड में मरने वाले लोगों की संख्या 70 से ज्यादा हो गई है. इस बीच पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग पर राजनीति तेज हो गई है. मुख्यमंत्री नतीश कुमार सहित उनके सहयोगी मुआवजा दिए जाने के खिलाफ हैं तो वहीं भारतीय जनता पार्टी लगातार मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिए जाने की मांग कर रही है. आज बिहार विधानसभा में बीजेपी का हंगामा जारी रहा, साथ ही मुआवजा दिए जाने और इसपर जांच कमेटी बनाने की मांग की गई.
बिहार विधानसभा में आज भी छपरा शराब कांड को लेकर घमासान जारी रहा. बिहार विधानसभा अध्यक्ष अवध विहारी चौधरी ने नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा को अपनी बात कहने की अनुमति दी. विजय कुमार सिन्हा ने सदन में मांग की कि छपरा में ज़हरीली शराब से हुई मौतों पर जांच के लिए जांच आयोग गठित किया जाए. पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाए. सदन में इसपर विमर्श किया जाए. छपरा में मरे लोगों के लिए सदन में शोक प्रकट किया जाए
इसके बाद सदन में जोरदार हंगामा किया गया. सदस्य पोस्टर लेकर नारे लगा रहे थे, जिसपर बिहार विधानसभा अध्यक्ष बेहद नाराज नजर आए. वे बार-बार सदस्यों को चेता रहे थे कि आप सदन की कार्यवाही में बाधा डाल रहे हैं. ये अमर्यादित काम हो रहा है, मैं कार्रवाई करने के लिए बाधित हो जाउंगा.
उधर JDU के मुखिया और बिहार के CM नीतीश कुमार लगातार मुआवजा देने से इनकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि मुआवजा देने से बिहार में शराबबंदी का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा. जबकि भाजपा सांसद सुशील मोदी का कहना है कि 2018 में सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि अगर मौत का कारण शराब साबित होता है, तो मुआवजा दिया जाएगा. उन्होंने जहरीली शराब पीड़ितों के परिजनों को 4 लाख रुपये देने का वादा किया था. सुशील मोदी ने सवाल किया कि जब खजुरबानी जहरीली शराब त्रासदी में पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा दिया गया तो सारण त्रासदी में क्यों नहीं?