सीतामढ़ी।परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत शुरू की गई अंतरा सबक्यूटेनियस (MPA-SC) सेवा ने महज कुछ ही महीनों में सीतामढ़ी को राज्य ही नहीं बल्कि देश में पहचान दिला दी है। पहला स्थान हासिल कर जिला अब “मॉडल” के रूप में सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग और अधिकारियों का कहना है कि यह सफलता केवल आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि समाज में तेजी से आ रहे बदलाव की झलक है।
“अब हम भी बिना डर के परिवार पर नियंत्रण कर पा रहे हैं…” – एक लाभुक महिला की जुबानी
सोनबरसा ब्लॉक के कोहबरवा उपस्वास्थ्य केंद्र में सेवा लेने आई अनिता देवी (बदला हुआ नाम) बताती हैं :
“पहले परिवार नियोजन के साधनों को लेकर मन में बहुत डर था। लोग तरह-तरह की बातें करते थे। डर लगता था कि नुकसान हो जाएगा। लेकिन गाँव की आशा दीदी ने हमें समझाया, काउंसलिंग की। फिर जब डॉक्टर ने अंतरा सबक्यूटेनियस के बारे में बताया कि यह सुरक्षित और असरदार है, तो हमने इसे अपनाया। अब हमें काफी राहत है, परिवार पर नियंत्रण हो गया और स्वास्थ्य भी अच्छा है।”
अनिता जैसी कई महिलाएँ अब खुलकर कह रही हैं कि यह सेवा उनके लिए मददगार साबित हुई है।
आशा दीदी बनीं बदलाव की नायिका
गाँवों में जाकर घर-घर संपर्क बनाने वाली आशा वर्कर ममता कुमारी बताती हैं :
“महिलाएँ अक्सर झिझकती थीं। लेकिन हमने धैर्य से उन्हें समझाया कि यह इंजेक्शन सुरक्षित और कारगर है। इतना ही नहीं, जरूरत पड़ने पर हम महिलाएँ उनके साथ स्वास्थ्य केंद्र तक जाती थीं। धीरे-धीरे भरोसा पैदा हुआ और अब खुद महिलाएँ पूछने लगी हैं कि ‘दीदी, अंतरा सबक्यूटेनियस कब मिलेगा?’ यह बदलाव देखकर हम बहुत खुश हैं।”
आँकड़े बताते हैं कामयाबी की असली तस्वीर
स्वास्थ्य विभाग के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि अब तक जिले में 380 महिलाओं ने यह सेवा ली है।
- कोहबरवा उपस्वास्थ्य केंद्र, सोनबरसा – 102
- तिलंगी – 73
- एपीएचसी भूतही – 74
- सीएचसी सोनबरसा – 90
- सदर अस्पताल, सीतामढ़ी – 41
यह आँकड़े बताते हैं कि कैसे गाँव-स्तर से लेकर जिला अस्पताल तक महिलाएँ इस सेवा से जुड़ रही हैं।
अधिकारियों का दावा – “यह केवल उपचार नहीं, सोच का बदलाव है”
सिविल सर्जन डॉ. अखिलेश कुमार कहते हैं :
“यह उपलब्धि हमारी टीम की मेहनत का नतीजा है। लेकिन ज़्यादा बड़ा योगदान आशा कार्यकर्ताओं और पीएसआई इंडिया का है, जिन्होंने तकनीकी सहयोग से लेकर रिपोर्टिंग प्रणाली तक मज़बूत की। इस सेवा से महिलाएँ सुरक्षित महसूस कर रही हैं और समाज में परिवार नियोजन के महत्व को लेकर सकारात्मक वातावरण बन रहा है।”
वहीं एसीएमओ डॉ. जेड जावेद ने कहा कि परिवार नियोजन केवल एक स्वास्थ्य कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में मजबूत कदम है।
आगे की योजना
डीपीएम आसित रंजन ने कहा कि बहुत जल्द इस सेवा का विस्तार जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों तक किया जाएगा। इसके लिए राज्य स्वास्थ्य समिति से अनुमति मांगी जाएगी। उन्होंने कहा, “इस अनुभव ने यह दिखाया कि जब प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और समाज एक साथ मिलकर काम करते हैं तो कोई भी योजना बड़ी सफलता बन सकती है।”
सीतामढ़ी की यह सफलता सिर्फ एक सरकारी रिपोर्ट की उपलब्धि नहीं है। यह उस बदलाव की निशानी है जहाँ गाँव की महिलाएँ अब झिझक छोड़कर खुलकर परिवार नियोजन अपना रही हैं।
अनिता और ममता जैसी कहानियाँ बताती हैं कि असली जीत तभी होती है जब योजनाएँ कागज़ से जमीन तक पहुँचें और लोगों की ज़िंदगी बदल दें।
