सरकार गंगा नदी से निकाले जाने वाले सीवेज और गंदे पानी को शोधित करने के बाद उसे बेचने के तरीकों पर विचार कर रही है.एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि जल्द ही यह शोधित जल इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) को बेचना शुरू किया जाएगा. गंगा बेसिन में लगभग 12,000 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) सीवेज उत्पन्न होता है.
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक (डीजी) अशोक कुमार ने कहा कि एजेंसी लगभग एक महीने में आईओसीएल को शोधित जल बेचना शुरू कर देगी. डीजी अशोक कुमार ने कहा ‘ हम इस परियोजना को मथुरा से शुरू कर रहे हैं, जिसके तहत आईओसीएल को 20 एमएलडी शोधित जल दिया जाएगा. वहां एक तेल रिफाइनरी है और मथुरा शोधन संयंत्र (एसटीपी) से शोधित जल आईओसीएल की आवश्यकता के अनुसार दिया जाएगा. ’
देश में पहली बार तेल रिफाइनरी शोधित जल का उपयोग
उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि एक महीने में हम इस परियोजना को शुरू करने में सक्षम होंगे और यह देश में पहली बार होगा जब कोई तेल रिफाइनरी शोधित जल का उपयोग करेगी. ’उन्होंने कहा कि गंगा से एकत्रित गंदे और सीवेज के पानी को सीवेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) में शोधित किया जाएगा और फिर इसे उद्योगों को बेचा जा सकता है क्योंकि यह उनके लिए उपयुक्त है.
उन्होंने कहा, ‘शोधित जल जो स्नान करने के लिए अच्छे मानक का है, उद्योगों द्वारा उपयोग किया जा सकता है. यह नदियों के अच्छे पानी के उपयोग को कम करने में भी मदद करेगा.’डीजी कुमार ने कहा कि पहले उद्योगों को बिक्री के लिए कम शोधित पानी उत्पन्न होता था क्योंकि बहुत कम शोधन संयंत्र काम कर रहे थे. एनएमसीजी के डीजी ने कहा कि एजेंसी आयुष मंत्रालय के साथ भी बातचीत कर रही है कि कैसे प्राकृतिक खेती के हिस्से के रूप में औषधीय पौधों को नदी के किनारे पर उगाया जा सकता है.
अब ‘अर्थ गंगा’ का ध्यान
एनएमसीजी के महानिदेशक ने कहा कि हम आयुष मंत्रालय से भी बात कर रहे हैं कि प्राकृतिक कृषि के रूप में नदी तटों के किनारे इस पानी से औषधीय पौधों को कैसे उगाया जा सकता है. इससे किसानों अपनी आजीविका के लिए नदी तटों पर औषधीय पौधों की खेती कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि एनएमसीजी का फोकस अब ‘अर्थ गंगा’ पर है. इसका आशय है कि लोगों को नदियों से रूप से जोड़ना और दोनों के बीच आर्थिक रिश्ता बनाना. अर्थ गंगा के लिए हम बीते दो माह से गहन रूप से काम कर रहे हैं.
मोदी सरकार ने वर्ष 2015 ‘नमामी गंगे’ मिशन शुरू किया है. इसका मकसद गंगा शुद्धिकरण की तमाम योजनाओं का एकीकरण करना है. इस कार्यक्रम के तहत 30,255 करोड़ रुपये की लागत से कुल 347 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है.