बिहार में पलटीबाज पॉलिटिक्स ने देश की राजनीति में धमाल मचा दिया है. पिछले 10 सालों में नीतीश ने 6 बार यूटर्न लिया है. बता दें कि 2013 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन तोड़ा और अकेले चले, फिर राष्ट्रीय जनता दल के साथ जुड़े. उनकी रणनीति ने बिहार को 50 से ज्यादा विधायक मंत्री दिए. पलटीबाजों की लिस्ट में नीतीश कुमार अकेले नहीं है इनके अलावा भी बिहार में और भी कई नेताओं ने पलटी मारी है. इस लिस्ट में पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान, जीतन राम मांझी, नागमणि कुशवाहा, उपेंद्र कुशवाहा और सम्राट चौधरी आदि नेताओं के नाम शामिल है.
राम विलास पासवान ने अपने राजनीतिक करियर में 6 बार यूटर्न लिया और उन्होंने अपने प्रतिष्ठानुरूप परिस्थितियों में पलटीमार पॉलिटिक्स को अपनाया. उन्होंने समाज में अपने दलितों के उत्थान के लिए काम किया और अपनी यूटर्न पॉलिटिक्स को इस संदेश के साथ जोड़ा है. इसके साथ ही जीतन राम मांझी जो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने भी पिछले 9 सालों में 7 बार यूटर्न लिया है. उन्होंने अपनी पार्टी बनाई और फिर नीतीश कुमार के साथ गठबंधन में शामिल हो गए, लेकिन वे भी नीतीश के साथ नहीं रहे और महागठबंधन में चले गए.
इनके अलावा नागमणि कुशवाहा जो एक दलित नेता हैं. उन्होंने पिछले 23 सालों में 11 बार यूटर्न लिया है. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर के दौरान कई पार्टियों में शामिल होकर बड़ा परिवर्तन किया है, लेकिन उन्होंने पलटीमार पॉलिटिक्स की मिसालें दी हैं. इसके बाद अगला नाम उपेंद्र कुशवाहा का है और यह पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके है. इन्होंने भी 7 बार यूटर्न लिया है और उनका नेतृत्व बीजेपी में है. उन्होंने अपनी पार्टी को बनाए रखने के लिए कई बार दल बदला है, लेकिन उनकी पलटीमार पॉलिटिक्स ने उन्हें उच्च स्थान पर रखा है.
भाजपा में बात करें तो बिहार के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने भी राजनीति में 7 बार यूटर्न लिया है. सम्राट विभिन्न पार्टियों में शामिल होकर अपना राजनीतिक करियर बनाया है. इस समय वो भाजपा के साथ अपनी सेवा देने का काम कर रहे हैं.
बता दें कि इन नेताओं के पलटीमार पॉलिटिक्स ने बिहार की राजनीति में गहरा प्रभाव डाला है. यह साबित करता है कि बिहार की राजनीति में नेताओं की पलटीमार पॉलिटिक्स को लोगों ने स्वीकार किया है और यह वहां की राजनीतिक परंपरा का हिस्सा बन चुका है.