‘स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट’, एक ऐसा समझौता है, जो सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच एक ऐतिहासिक डील के रूप में देखा जा रहा है। इस समझौते की अहमियत इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि किसी एक देश पर हमला, दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। इसका मतलब है कि अगर पाकिस्तान पर कोई बाहरी हमला होता है तो सऊदी अरब उसकी रक्षा में खड़ा होगा और अगर सऊदी को खतरा होता है तो पाकिस्तान उसका सैन्य सहयोगी बनेगा।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि सऊदी अरब, जो भारत का बहुत अच्छा सहयोगी है, वो भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष की स्थिति में अब किसका साथ देगा? ये तो साफ है कि तुर्की, चीन और अब सऊदी अरब के समर्थन के बाद पाकिस्तान अपनी स्थिति को बेहतर समझने की भूल कर रहा होगा।
हालांकि, एक्सपर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि इससे पाकिस्तान पर हमला करने से भारत को कोई नहीं रोक सकता। जानकारों का मत है कि ये डील दोनों देशों के रक्षा सहयोगों की तो बढ़ाएगी, लेकिन भारत पर इसका असर कम देखने को मिल सकता है।
एक्सपर्ट ने क्या कहा?
दक्षिण एशिया की जियो-पॉलिटिक्स पर नजर रखने वाले अमेरिकी एक्सपर्ट माइकल कुलेगमेन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा है कि पाकिस्तान ने न केवल एक नया पारस्परिक रक्षा समझौता किया है, बल्कि उसने एक ऐसे करीबी सहयोगी के साथ भी समझौता किया है जो भारत का एक टॉप सहयोगी भी है। हालांकि, यह समझौता भारत को पाकिस्तान पर हमला करने से नहीं रोकेगा। लेकिन, तीन प्रमुख शक्तियों – चीन, तुर्की और अब सऊदी अरब – के पूरी तरह से पाकिस्तान के पक्ष में होने से, पाकिस्तान बहुत अच्छी स्थिति में है।
आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान और सऊदी अरब एक-दूसरे के करीब आए हों। पाकिस्तान लंबे समय से सऊदी का सैन्य सहयोगी रहा है और रियाद ने इस्लामाबाद को आर्थिक मदद भी दी है। लेकिन मौजूदा हालात में यह सहयोग सिर्फ आर्थिक या सैन्य समझौते तक सीमित नहीं है, बल्कि सीधा सुरक्षा गारंटी तक जा पहुंचा है।
डील के पीछे पांच बड़े कारण
सऊदी अरब के लिए पाकिस्तान संग इस रक्षा समझौते के पांच प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं:
- इजरायल द्वारा दोहा में किया गया हमला, जिसने सऊदी की सुरक्षा चिंता बढ़ा दी।
- ईरान और सऊदी अरब के बीच चले आ रहे तनावपूर्ण रिश्ते।
- अमेरिका की सुरक्षा गारंटी पर अब भरोसा न होना।
- पाकिस्तान का परमाणु हथियार संपन्न देश होना।
- इस्लामी देशों को एकजुट करने की रणनीति।
