लता मंगेशकर ने 92 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। पिछले काफी वक्त से वह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में एडमिट थीं। उनके गुजर जाने के बाद अब लता मंगेशकर की रुहानी आवाज और उनसे जुड़ी यादें ही पीछे रह गई हैं। लता मंगेशकर की निजी जिंदगी के बारे में बहुत से लोग जानना चाहते हैं कि उन्होंने शादी क्यों नहीं की थी। हालांकि कम ही लोग जानते हैं कि लता मंगेशकर को भी प्यार हुआ था और वह भी शादी करना चाहती थीं।
लता मंगेशकर भी करना चाहती थीं शादी
लता मंगेशकर के शादी नहीं करने के पीछे 2 बड़ी वजहें थीं। एक तो लता मंगेशकर छोटी उम्र से ही अपने भाई-बहनों, मीना, आशा, उषा और हृदयनाथ को संभाल रही थीं। उन्हें पढ़ाने लिखाने और काबिल बनाने में लता दीदी की काफी उम्र बीत गई। इसके बाद एक बार जब उन्होंने शादी का मन बनाया तो किस्मत ने साथ नहीं दिया था।
जब लता मंगेशकर को हुआ था प्यार
पत्रिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिवंगत क्रिकेटर और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के पूर्व अध्यक्ष राज सिंह डूंगरपुर, लता मंगेशकर के भाई हृदयनाथ मंगेशकर के करीबी दोस्त थे। राज सिंह राजस्थान के शाही परिवार से ताल्लुक रखते थे और डूंगरपुर के तत्कालीन राजा स्वर्गीय महारावल लक्ष्मण सिंहजी के सबसे छोटे बेटे थे। दोनों के बीच मुलाकातों का सिलसिला बढ़ा और लता मंगेशकर को उनसे प्यार हो गया।
क्यों नहीं हो पाई थी दोनों की शादी?
कहते हैं कि लता उन्हें प्यार से मिट्ठू कहकर बुलाती थीं। दोनों शादी का मन बना रहे थे लेकिन जब महारावल लक्ष्मण सिंहजी ने शादी होने से मना कर दिया। वजह ये थी कि लता मंगेशकर एक शाही परिवार से नहीं थी और महारावल लक्ष्मण अपने बेटे राज सिंह की शादी एक आम लड़की से नहीं करना चाहते थे। इसके बाद लता मंगेशकर जीवन भर कुंवारी रहीं।
सिख मोहल्ले में हुआ जन्म
28 सितंबर, 1929 को इंदौर के सिख मोहल्ले में लता मंगेशकर का जन्म हुआ था। जिस चालनुमा घर में वे पैदा हुई थीं, वह उस समय वाघ साहब के बाड़े के रूप में जाना जाता था। सात साल की उम्र तक वे इंदौर में इसी घर में रहीं। इसके बाद उनका परिवार महाराष्ट्र चला गया।
घर में बने हैं म्यूरल्स
लता जी के इंदौर से जाने के बाद इस घर को एक मुस्लिम परिवार ने खरीदा। यह परिवार कुछ साल यहां रहा और फिर इस घर को बलवंत सिंह को बेच दिया। बलवंत सिंह लंबे समय तक इस घर में रहा। बाद में उन्होंने इसे नितिन मेहता के परिवार को बेच दिया। मेहता परिवार ने घर के बाहरी हिस्से में कपड़े का शोरूम खोल लिया है। मेहता परिवार ने सबसे पहले घर का कायाकल्प करवाया। यह परिवार लताजी की देवी की तरह पूजा करता है। शोरूम खोलने से पहले वे हर दिन उनका आशीर्वाद लेते हैं। उन्होंने शोरूम के एक हिस्से में लताजी का म्यूरल बनवाया है।
इंदौरियों से पूछतीं हैं शहर का हाल
जन्म के बाद से लताजी का ज्यादातर जीवन मुंबई में बीता, लेकिन इंदौर को वे कभी नहीं भूलीं। अपने जन्म स्थान के लोगों से मिलकर उन्हें बेहद खुशी होती हैा। उन्हें इंदौर के सराफा की खाऊ गली अब भी याद है। यहां के गुलाब जाबुन, रबड़ी और दही बडे़ उन्हें बेहद पसंद थे। इंदौर के लोगों से मिलकर वे अब भी अक्सर पूछती हैं- सराफा तसाच आहे का? यानी क्या सराफा अभी भी वैसा ही है।