3 दिनों से लगातार प्रखंड विकास कार्यालय सुबह 10 बजे पहुंच जाते हैं। दिनभर सेंटर पर भटकते हैं, फिर भी निवास प्रमाण पत्र बनवाने वाला आवेदन सब्मिट नहीं हो रहा। सर्वर बार-बार फेल हो जा रहा।
SIR (मतदाता सूची संशोधन) में नाम जुड़वाने के लिए आवासीय बनाना है। ड्राफ्ट रोल से नाम काट दिया गया है। BLO ने कहा है कि आवासीय सर्टिफिकेट रहने पर नाम जुड़ेगा।
यह कहाना है पटना के दानापुर के निहाल कुमार का। ये कहानी सिर्फ निहाल की ही नहीं है, ऐसे लाखों लोग हैं, जो इन दिनों आवासीय प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भटक रहे हैं। बिहार सरकार (प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी) के आंकड़े के मुताबिक, SIR आने के बाद निवास प्रमाण पत्र बनाने में 3 गुणा बढ़ोतरी हुई है।
अगस्त में 52 लाख 97 हजार 99 आवेदन निवास प्रमाण पत्र बनाने के लिए आए। वहीं, जुलाई में सिर्फ 56 लाख 13 हजार 633आवेदन आए थे। यानी दो महीने में एक करोड़ 9 लाख 10 हजार आवेदन आए हैं।
लोगों को निवास बनवाने में क्या हो रही परेशानी…
कहानी-1ः मजदूरी छोड़कर आते हैं, यहां मशीन ही काम नहीं करती
नंदकिशोर साह दानापुर के दियारा एरिया के हैं। निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए वह उफनती गंगा नदी पार कर RTPS सेंटर पहुंचे हैं।
नंद किशोर साह ने बताया, ‘राशन कार्ड में नाम जुड़वाना है। इसके लिए आवासीय प्रमाण पत्र के साथ-साथ जाति और आय सर्टिफिकेट चाहिए।’
‘बारिश में भींगते हुए पहुंचे हैं, लेकिन यहां आने पर पता चला कि मशीन काम नहीं कर रहा है। अगर निवास और आय प्रमाण पत्र नहीं बना तो राशन कार्ड से नाम कट जाएगा।’
उन्होंने बताया, ‘घर में कमाने वाला इकलौता मैं ही हूं। एक काम के लिए पूरे एक दिन की मजदूरी छूट जाती है। अमहारा से आने-जाने में भी पैसा खर्च होता है। अगर राशन कार्ड से नाम कटा तो खाने तक को दिक्कत हो जाएगी।’
‘इसमें एक नया नौटंकी SIR आ गया है। इस वजह से निवास बनवाने वालों की भारी भीड़ हो जा रही है। एक काम के लिए बार-बार आना पड़ रहा है। यहां बिना पैसा दिए कोई काम नहीं होता है।’
कहानी-2ः जब आते हैं सर्वर डाउन हो जाता है
दानापुर के सगुना मोड़ के राहुल कुमार नौकरी के लिए निवास प्रमाण पत्र बनवाने आए हैं। वह दूसरे दिन एक बार फिर RTPS सेंटर पहुंचे हैं। कॉउंटर पर पहुंचते ही वह उदास हो गए। उन्हें बताया गया कि सर्वर डाउन है।
राहुल कहते हैं, ‘जब काउंटर पर पहुंचे तो बताया गया कि सर्वर डाउन है। इसलिए वेट करना होगा। कल भी मैं यहां आया था। कल मुझे क्या-क्या डॉक्यूमेंट चाहिए, वह बताया गया था।’
‘सरकार कहती है कि ऑनलाइन आवेदन कर दीजिए, निवास बन जाएगा। लेकिन जमीन पर ऐसा नहीं होता है। निवास बनवाने के लिए बार-बार चक्कर लगाना पड़ता है। हां, अगर पैसा दे दें तो जल्दी बन जाता है।’
कहानी-3ः बच्चे के निवास के लिए भटक रहे
दानापुर कैंट इलाके के निवासी मुकेश कुमार सिन्हा को बच्चे का निवास प्रमाण पत्र चाहिए। उन्हें अपने बेटा का आधार रजिस्ट्रेशन करवाना है। आवेदन और 7 साल के बेटे के साथ वह RTPS सेंटर पहुंचे थे।
उनके पहुंचने के पहले सेंटर की खिड़की बंद हो चुकी थी। यहां-वहां तलाशने और दूसरे आवेदनकर्ता से पूछने पर पता चला कि सर्वर डाउन है। जरूरी दस्तावेज के साथ अगले दिन बुलाया गया है।
मुकेश कुमार सिन्हा बताते हैं, ‘मैं बच्चे के साथ आया था। यह क्लास टू में पढ़ाई कर रहा है। इसका आधार रजिस्ट्रेशन में निवास प्रमाण पत्र की डिमांड है। निवास प्रमाण पत्र के लिए यहां पहुंचे थे। लेकिन, सर्वर फेल है।’
पिछले साल से 5 गुना अधिक निवास का आवेदन
प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी के आंकड़े के मुताबिक, निवास बनवाने के लिए इस साल अगस्त में 52 लाख 97 हजार 99 आवेदन आए हैं। जो पिछले साल यानी अगस्त 2024 की तुलना में करीब 5 गुना ज्यादा है।
2024 अगस्त में सिर्फ 12 लाख 87 हजार 576 लोगों ने निवास के लिए आवेदन किया था। वहीं, इस साल जुलाई में निवास बनवाने के लिए 56 लाख 13 हजार 633 आवेदन आए, जो जुलाई 2024 की तुलना में करीब साढ़े तीन गुना है। जुलाई 2024 में सिर्फ 16 लाख 88 हजार 758 आवेदन आए थे।
