यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
अर्थात जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब भगवान अवतार लेते हैं। श्रीहरि सज्जन लोगों की रक्षा एवं दुष्टों का विनाश करने के लिए इस धरा पर अवतरित होते हैं। द्वापर युग में जब चारों ओर धर्म की हानि हो रही थी, तो लोग कंस के अत्याचार से त्राही-त्राही कर रहे थे तब श्री हरि विष्णु ने अपने श्रीकृष्ण के रूप में अपना आठवां अवतार लिया। कारागृह में भगवान श्री हरि विष्णु ने वासुदेव और माता देवकी को दर्शन दिए और फिर कान्हा के रूप में जन्म लिया । भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र के अंतर्गत रात्रि के 12 बजे गोकुल में आनंद छा गया ।
- नंद के आनंद भयो…
नंद बाबा के घर भगवान श्री कृष्ण के आते ही चहुं ओर खुशियों की लहर दौड़ पड़ी। हर कोई नंद बाबा और माता यशोदा को बधाई दे रहे थे। जगत के पालनहार कान्हा को जो देखता बस देखता ही रह जाता। श्रीकृष्ण का लालन-पालन माता यशोदा ने बड़े जतन से किया। माखन खाते कान्हा की छवि को देख गोप-गोपियां अपना सुध-बुध खो बैठते । कन्हैया के दर्शन को ब्रह्मा विष्णु महेश के साथ सभी देवगण भी धरती पर आ गए। द्वापर युग से ही हम कलानिधि भगवान श्री कृष्ण के अवतरण दिवस को जन्माष्टमी के रूप में मनाते आ रहे हैं। - अति पुण्यदायी है जन्माष्टमी
कृष्ण जन्मोत्सव के दिन भक्त व्रत रखते हैं और मध्यरात्रि 12 बजे कान्हा के जन्म के बाद उनकी पूजा-अर्चना करके व्रत का पारण करते हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल गोपाल स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान श्री कृष्ण भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के पकवान अर्पित किए जाते हैं।
मान्यता है कि जन्माष्टमी पर पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता और व्यक्ति स्वर्गलोक में स्थान पाता है। श्रीकृष्ण की पूजा से संसार के समस्त सुख का आनंद मिलता है। संतान प्राप्ति के लिए इस दिन श्रीकृष्ण के बालरूप लड्डू गोपाल की पूजा अधिक फलदायी मानी गई है।
- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजन विधि
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण के बाल रूप यानि लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है।
प्रात:काल उठकर भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान लगाकर व्रत का संकल्प लें।
बाल गोपाल का श्रृंगार करके विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है।
बाल गोपाल के लिए पालना सजाएं और उसमें उन्हें झुला झुलाएं।
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का दूध और गंगाजल से अभिषेक करें।
फिर उन्हें नए वस्त्र पहनाएं, मोरपंखी मुकुट लगाएं, बांसुरी, चंदन, वैजयंती माला से लड्डू गोपाल का श्रृंगार करें। उन्हें भोग में तुलसी दल, फल, मखाने, मक्खन, मिश्री का भोग, मिठाई, मेवे, पंजीरी आदि अर्पित करें।
दीप-धूप करें और अंत में श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की आरती उतारें और प्रसाद बांटे।
इस जन्माष्टमी लड्डू गोपाल की पूजा के साथ उनके गुणों को भी हम अपने जीवन में उतारें तभी इस त्योहार को मनाना सार्थक होगा।