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The Voice Of Bihar > Blog > राजनीति > कर्नाटक और महाराष्ट्र के सहारे बिहार चुनाव पर कांग्रेस की नजर, कितना कारगर होगा प्लान?
राजनीति

कर्नाटक और महाराष्ट्र के सहारे बिहार चुनाव पर कांग्रेस की नजर, कितना कारगर होगा प्लान?

Saroj Raja
Last updated: 2025/08/02 at 10:26 PM
Saroj Raja
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11 Min Read
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बिहार चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे सियासी पारा चढ़ता जा रहा है. सूबे में इस समय सबसे गरम मुद्दा वोटर लिस्ट के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया का है. इसको लेकर आरजेडी सहित इंडिया गठबंधन के अधिकतर घटक दल सवाल उठा रहे हैं. यहां तक कि वे आगामी दिनों में चुनाव आयोग के खिलाफ मार्च निकालने की तैयारी में हैं. विपक्ष संसद के अंदर और बाहर अपना झंडा बुलंद किए हुए है.

Contents
विपक्ष के आगे चुनाव आयोग की दलीलें फेल?कर्नाटक में कांग्रेस की EC के खिलाफ हुंकार‘महाराष्ट्र चुनाव की मैच फिक्सिंग’

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी आरोप लगा रहे हैं कि चुनाव चुराए जा रहे हैं. उन्होंने दावा किया है कि वह इस चोरी को ब्लैक एंड व्हाइट रूप में कर्नाटक के एक लोकसभा क्षेत्र का उदाहरण देकर बताने वाले हैं. यह कोई पहला मौका नहीं है कि कांग्रेस व राहुल गांधी चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहे हैं. वह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद आरोप लगा चुके हैं कि लाखों मतदाताओं को चंद महीनों के अंदर वोटर लिस्ट में जोड़ दिया गया. अब सवाल उठता है क्या कर्नाटक और महाराष्ट्र के सहारे बिहार चुनाव पर कांग्रेस की नजर है और उसका यह प्लान कितना कारगर साबित होने वाला है.

सबसे पहले समझते हैं कि बिहार में कितने वोटर्स को मतदाता सूची से बाहर रखा गया है और चुनाव आयोग ने उन्हें वोटर लिस्ट में शामिल करने के लिए क्या कहा है? दरअसल, चुनाव आयोग ने सूबे में मतदाता सूचियों के एसआईआर के पहले चरण को पूरा कर लिया है. 24 जून से 25 जुलाई 2025 तक चली इस प्रक्रिया में कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने भाग लिया. इस प्रकाशित होने वाले मसौदा मतदाता सूची से 65 लाख मतदाताओं को बाहर रखा जाएगा. इनमें से 22 लाख मर चुके वोटर हैं, 36 लाख वोटर्स में वे लोग शामिल हैं जो या तो स्थायी रूप से राज्य से बाहर चले गए हैं या जिनका कोई अता-पता नहीं है. इसके अलावा 7 लाख वोटर दूसरे जगह पर रजिस्टर्ड हैं.

विपक्ष के आगे चुनाव आयोग की दलीलें फेल?

SIR का डाटा सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं. विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाए हैं कि बिहार में स्थानीय चुनावी मशीनरी को सत्तारूढ़ बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के पक्ष में प्रभावित किया जा सकता है, जिससे पूरी प्रक्रिया उनके पक्ष में जा सकती है. उनके आरोपों के बीच चुनाव आयोग की सफाई सामने आई. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार के मतदाताओं के नाम 1 अगस्त को प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशित होने को लेकर बयान जारी किया. उन्होंने कहा बिहार के सभी 38 जिला निर्वाचन अधिकारियों की ओर से सभी राजनीतिक दलों को इसकी भौतिक और डिजिटल कॉपियां भी दी जाएंगी.

उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों और मतदाताओं को बिहार की मतदाता सूची के प्रारूप में पात्र नागरिकों के नाम जोड़ने या अपात्र लोगों के नाम हटाने के लिए अनुरोध करने के लिए एक पूरा महीना यानी 1 सितंबर तक का समय दिया जाएगा. यह प्रारूप 1 अगस्त को प्रकाशित किया जाएगा. मतदाता एक फॉर्म भरकर अपने संबंधित विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) को जमा कर सकते हैं.

चुनाव आयोग के बयान के बाद भी इंडिया गठबंधन एसआईआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रखने वाला है. उसने योजना बनाई है कि अगले सप्ताह चुनाव आयोग के मुख्यालय तक मार्च निकाला जाएगा. इसको लेकर गुरुवार को संसद भवन परिसर में इंडिया गठबंधन की बैठक हुई, जिसमें सभी घटक दल एक सुर में दिखाई दिए हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, टीएमसी के नेता डेरेक ओ’ब्रायन, द्रमुक नेता टी आर बालू और तिरुची शिवा, समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव, एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले और कई अन्य नेता मौजूद रहे हैं.

कर्नाटक में कांग्रेस की EC के खिलाफ हुंकार

अब बात करते हैं कि राहुल गांधी कर्नाटक में वोटर लिस्ट धांधली के क्या आरोप लगा रहे हैं? उन्होंने अभी हाल ही में 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान कर्नाटक निर्वाचन क्षेत्र की वोटर लिस्ट में धांधली का आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्होंने कर्नाटक में एक बड़ी चोरी पकड़ी है, जिसे वह ब्लैक एंड व्हाइट रंग में लोगों और चुनाव आयोग को दिखाने वाले हैं. वे समझ समझ चुके हैं कि क्या खेल चल रहा है. उन्होंने इसकी गहराई से जांच की है.

उन्होंने कहा, ‘समस्या यह है कि वे वोटर लिस्ट कागज पर देते हैं, जिनका विश्लेषण नहीं किया जा सकता. एक चुनावी क्षेत्र के लिए हमने वोटर लिस्ट ली और उसे डिजिटल फॉर्मेट में बदला. हमें छह महीने लगे, लेकिन हमने सिस्टम को समझ लिया है कि वे (ईसी) यह कैसे करते हैं, कौन वोट देता है, वोट कहां डाले जाते हैं और नए वोटर कैसे बनाए जाते हैं… वे बिहार में एक नए सिस्टम के तहत ऐसा कर रहे हैं. वे वोटर्स को हटा देंगे. देश में चुनाव चुराए जा रहे हैं और यही वास्तविकता है.’

गांधी ने कहा, ‘हमने सभी को दिखाया कि महाराष्ट्र में मैच फिक्सिंग कैसे हुई? हमने कर्नाटक की एक लोकसभा सीट की जांच की. बड़े पैमाने पर वोट चोरी पाई गई, हम जल्द ही इसे जनता के सामने लाएंगे.’ राहुल के ऐलान के बाद कांग्रेस ने रणनीति बनाते हुए कहा कि वह 5 अगस्त को चुनाव आयोग की धांधली का पर्दाफाश करेगी.

कांग्रेस महासचिव और संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल का कहना है कि पार्टी बेंगलुरु में राहुल गांधी के नेतृत्व में इस धोखाधड़ी के खिलाफ एक बड़ा विरोध प्रदर्शन करने वाली है. इसमें वोटर लिस्ट में हुई धांधली का पर्दाफाश किया जाएगा क्योंकि फर्जी वोटरों की एंट्री की गई है और कई पात्र वोटरों को हटाया गया है. इस तरह के तथ्य चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं. जानबूझकर लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने की कोशिश हुई है. चुनावी गड़बड़ियों को अब नहीं चलने दिया जाएगा.

‘महाराष्ट्र चुनाव की मैच फिक्सिंग’

बिहार चुनाव के बीच राहुल गांधी महाराष्ट्र में वोटर लिस्ट के मसले को मैच फिक्सिंग बता रहे हैं. उनका कहना है कि चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में धोखा दिया. उससे सवाल पूछे गए, वोटर लिस्ट और वीडियोग्री मांगी गई, लेकिन उन्हें दिखाई गई. महाराष्ट्र में एक करोड़ मतदाता जोड़े गए और चुनाव चुरा लिया गया. इसको लेकर मार्च में उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़े आरोप लगाए थे. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवसेना-यूबीटी के नेता संजय राउत और एनसीपी (एसपी) नेता सुप्रिया सुले मौजूद थीं.

लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता ने चुनाव आयोग से सवाल करते हुए कहा था कि 5 सालों में विधानसभा 2019 और लोकसभा 2024 के बीच महाराष्ट्र की वोटर लिस्ट में 32 लाख मतदाता जुड़े. हालांकि, 5 महीनों के दौरान लोकसभा 2024 और विधानसभा 2024 के बीच सूबे में 39 लाख नए मतदाता जुड़े. अब सवाल यह है कि लोकसभा चुनाव के बाद 5 महीनों में ही इतने मतदाता क्यों जुड़ रहे हैं जितने पिछले पांच सालों में नहीं जुड़े थे? ये 39 लाख लोग कौन हैं?

राहुल गांधी ने कहा कि एक बहुत दिलचस्प बात है, महाराष्ट्र में रजिस्टर्ड मतदाताओं की संख्या सूबे की कुल मतदाता आबादी से ज्यादा क्यों थी? सरकार के मुताबिक, महाराष्ट्र की जनसंख्या 9.54 करोड़ है. चुनाव आयोग के अनुसार, महाराष्ट्र में मतदाताओं की संख्या महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या से ज्यादा है. अब, यह एक स्पष्ट धांधली है. किसी तरह, महाराष्ट्र में अचानक मतदाता बना दिए गए. सरकार खुद कह रही है कि हमारी जनसंख्या 9.54 करोड़ है और चुनाव आयोग के पास महाराष्ट्र की जनता से ज्यादा मतदाता हैं.

उन्होंने कहा कि कई-कई जगहों पर हमें एक चीज मिली है. समझने वाली बात ये है कि कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) को वोट देने वाले मतदाताओं की संख्या लोकसभा और विधानसभा में कम नहीं हुई है. हमें वोट बराबर मिले हैं और ये एक उदाहरण है. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 1.36 लाख वोट मिले, विधानसभा चुनाव में हमें 1.34 लाख वोट मिले, जो बहुत करीब है. 35 हजार नए मतदाता जुड़े हैं और बीजेपी को लोकसभा में 1.9 लाख और विधानसभा चुनाव में 1.75 लाख वोट मिले, जिन 35 हजार नए मतदाताओं ने बीजेपी को जीत दिलाई, उनमें से ज्यादातर नए मतदाता उन्हीं 35 हजार नए मतदाताओं से हैं, जिन्हें जोड़ा गया है.

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि बहुत सारे वोटर हैं जिनके नाम हटा दिए गए हैं. कुछ वोटरों को एक बूथ से दूसरे बूथ पर ट्रांसफर किया गया. इनमें से ज्यादातर वोटर दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदायों के हैं. कांग्रेस एक बार फिर विधानसभा चुनाव को लेकर आरोप लगा रही है कि बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन के नाम पर एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों और अल्पसंख्यकों के वोट चुराए जा रहे हैं. उनके आरोप महाराष्ट्र चुनाव से मेल खाते हैं. अब देखना होगा कि कांग्रेस अपनी रणनीति के तहत सत्तारूढ़ बीजेपी-जेडीयू को कितना नुकसान पहुंचा पाती है?

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