भारत और नेपाल का वर्षों से घनिष्ठ संबंध है। यह संबंध कोई राजनीतिक नहीं बल्कि ऐतिहासिक है सैकड़ों वर्षो से चला आ रहा है। हाल ही में नेपाल के दौरे पर गए भारत के प्रधानमंत्री ने भी देशों के संबंधों के बारे में जिक्र किया था। साथ ही उन्होंने कई परियोजनाओं पर भी करार किया। इसके तहत नेपाल में 2059 मेगावाट के पनबिजली परियोजनाओं का निर्माण भारत करेगा।
बिहार को होंगे तीन फायदे।
नेपाल के अरुण कोसी पर पनबिजली इकाई बनाने के ताजा करार से बिहार को तीन फायदे होंगे। इससे बिहार को न केवल बिजली मिलेगी, बल्कि कोसी का पानी नियंत्रित होकर आएगा, जिससे गाद में कमी आएगी और राज्य के दर्जनभर जिलों में बाढ़ की भयावहता कम होगी। इस तरह अब तक बिहार के लिए अभिशाप रही कोसी नदी वरदान साबित होगी।
भारत को मिलेगी 70 % बिजली।
बता दें कि भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश का संयुक्त उपक्रम एसजेवीएन लिमिटेड ने अरुण कोसी में 2059 मेगावाट की तीन पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण का नेपाल से करार किया है। इससे कुल 2100 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादित होगी और इस पर 4900 करोड़ खर्च होंगे।
पहले चरण में 900 मेगावाट की इकाई पर काम चल रहा है जो अगले साल पूरा हो जाएगा। दूसरे चरण में 669 मेगावाट की पनबिजली इकाई बनेगी, जिसकी डीपीआर की मंजूरी नेपाल सरकार से मिल चुकी है। वहीं तीसरे चरण में 490 मेगावाट की इकाई बनाई जाएगी, जिसका करार सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में हुआ है। पांच-छह साल में सभी पनबिजली इकाइयां चालू हो जाएंगी। 70% से अधिक बिजली भारत को मिलेगी। सीतामढ़ी ग्रिड से बिहार को भी बिजली मिलेगी।