प्याज ने आदमी को बहुत रुलाया है! कभी इसकी कीमत आसमान छू रही होती हैं, तो कभी अचानक से जमीन पर गिर जाती हैं। प्याज के दामों में होने वाले उतार-चढ़ाव सिर्फ ग्राहकों को नहीं, बल्कि किसान को भी प्रभावित करते हैं। और हां, कभी-कभार किसानों पर इसका ऐसा असर पड़ता है कि वे मजबूरन अपनी लाखों की फसल को यूं ही लूटा देते हैं। महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके से एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जहां एक किसान ने कई क्विंटल प्याज मुफ्त में बांट दी।
2 एकड़ में बोई थी प्याज की फसल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुलढाणा जिले के शेगांव में एक किसान ने अपनी दो एकड़ जमीन पर प्याज बोया था। फसल बहुत अच्छी हुई। उसने सोचा कि बढ़िया दाम मिलेगा। लेकिन हालात ऐसे हो गए कि उसे 200 क्विंटल प्याज मुफ्त में बांटनी पड़ी। कैलाश नारायण के पास खेती की साढ़े तीन एकड़ जमीन है, जिसमें से 2 एकड़ पर उन्होंने प्याज की फसल बोई थी।
फसल पर खर्च किए थे 2 लाख रुपये
किसान ने बताया कि उसने प्याज की फसल पर 2 लाख रुपये खर्च किए थे। वह उपज से बहुत खुश भी था। लेकिन जब फसल अच्छी हुई तो प्याज के दाम जमीन पर आ गए। बताया गया कि प्याज की कीमत आम लोगों के लिए 4 से 5 रुपये किलो है! जब प्याज की खुदरा कीमत इतनी कम है, तो सोच लीजिए मंडी में व्यापारी किसान से किस दाम में प्याज खरीद रहे होंगे।
घाम में खराब हो रही थी प्याज, तो…
किसान ने करीब 200 क्विंटल प्याज अपने घर के सामने रखी थी। प्याज, धूप के कारण खराब हो रहा था। इसलिए उन्होंने लोगों से विनती की कि वे प्याज मुफ्त में ले जाएं, पहले लोगों को यकीन नहीं हुआ। लेकिन किसान के बार-बार कहने पर प्याज लेने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। दरअसल,
जब किसान प्याज लेकर पास के शहर खामगांव की मंडी पहुंचा, तो व्यापारियों ने उसके प्याज कोॉ देखा तक नहीं। प्याज के कीमत में आई गिरावट से वह हताश हो गए।
‘कर्ज में डूब चुका हू…’
कैलाश ने मीडिया से कहा, ‘2 एकड़ जमीन में प्याज बोया था, जिसमें 2 लाख रुपये खर्च आया। व्यापारी प्याज नहीं ले रहे, यही हाल बहुत से प्याज उत्पादक किसानों का है। त्रस्त होकर मैंने लगभग 200 क्विंटल प्याज मुफ्त में दे दी। मैं कर्ज में पूरी तरह डूब चुका हूं, आगे खेती करने के लिए भी अब कोई सुविधा नहीं है।’ गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले जिले के एक किसान ने अपनी प्याज की फसल भेड़-बकरियों को खिला दी थी, जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।