सुप्रीम कोर्ट द्वारा सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लोगों के लिए 10% आरक्षण को बरकरार रखा गया है. ऐसे में देश के कई हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन (HEI) के शिक्षाविदों और अधिकारियों ने शीर्ष अदालत के फैसले को लेकर अपनी राय रखी. शिक्षाविदों और अधिकारियों ने कहा कि 2019 के बाद से ही लागू EWS कोटा को लागू करने पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हालांकि, उन्होंने EWS Quota की वजह से स्टूडेंट्स की कुल संख्या बढ़ने के साथ भविष्य के बुनियादी ढांचे की चुनौतियों पर चिंता जताई.
आईआईटी-दिल्ली के डायरेक्टर रंगन बनर्जी ने कहा कि संस्थान पहले से ही कोटा के तहत स्टूडेंट्स को एडमिशन दे रहा है. उन्होंने कहा, ‘ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने के तरीके में कोई बदलाव नहीं होगा. लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि ज्यादा स्टूडेंट्स को समायोजित करने के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में समय लगता है. हम हॉस्टल और डिपार्टमेंट में कमरों की संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ऐसा होने में कुछ समय लगेगा.’
चुनौतियों का सामना करेंगे एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन
आईआईटी-बॉम्बे के अधिकारियों ने भी बनर्जी के बयान का समर्थन किया. नाम न छापने की शर्त पर संस्थान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘IIT-Bombay ने कोटा को पूरी तरह से लागू कर दिया है. हालांकि, संस्थान बुनियादी ढांचे की चुनौतियों का भी सामना कर रहा है.’
दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में अधिकारियों ने कहा कि सीमित बुनियादी ढांचा होने की वजह से अतिरिक्त स्टूडेंट्स को समायोजित करने की चुनौतियों को इस साल भी देखा जाएगा. डीयू के आर्यभट्ट कॉलेज के प्रिंसिपल मनोज सिन्हा ने कहा, ‘अगर कोर्ट ने कोटा खत्म कर दिया होता, तो इससे हम पर असर पड़ता. हालांकि, हम जो कुछ भी पहले से कर रहे हैं, इसके लिए बस हमें हामी मिल गई है.
क्या है EWS कोटा?
जनवरी 2019 में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) सरकार ने सामान्य वर्ग में EWS के सदस्यों को नौकरियों और उच्च शिक्षा में 10% आरक्षण देने की मांग करते हुए एक कानून पारित किया. फिर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 14 जनवरी, 2019 को एक गजट नोटिफिकेशन के जरिए संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 को नोटिफाई किया.
ये अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में एक खंड जोड़कर संशोधन करता है, जो राज्यों को नागरिकों के किसी भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की उन्नति के लिए ‘विशेष प्रावधान’ बनाने की इजाजत देता है.
ये ‘विशेष प्रावधान’ प्राइवेट एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन सहित एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में उनके एडमिशन से संबंधित होंगे, चाहे वे राज्य द्वारा सहायता प्राप्त या गैर-सहायता प्राप्त हों. 10 फीसदी आरक्षण का ख्याल रखते हुए केंद्र सरकार ने सेंट्रल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में 2,14,766 अतिरिक्त सीटों को तैयार करने को मंजूरी दी, ताकि अन्य कैटेगरी के लोगों को मिलने वाले आरक्षण पर प्रभाव ना पड़े.
इसके लिए 4,315 करोड़ रुपये का बजट भी निर्धारित किया गया. 2019 से ही इस कोटा के तहत लोगों को एडमिशन दिया जा रहा है और लोगों की हायरिंग हो रही है.