गया में पितृपक्ष मेला 10 सिंतंबर से शुरू होने जा रहा है. पितृपक्ष मेला 10 सितंबर से शुरू होकर 25 सितंबर तक चलेगा. पितृपक्ष मेला को लेकर प्रशासनिक तैयारी लगभग पूरी कर ली गयी है. पितृपक्ष मेला से पहले सीएम नीतीश कुमार पिंडदानियों को बड़ी सौगात देने जा रहे है. जल संसाधन विभाग द्वारा निर्मित गया में फल्गु नदी पर बने सबसे बड़े रबर डैम का लोकार्पण कल सीएम नीतीश कुमार करेंगे. इस मौके पर मुख्यमंत्री विष्णुपद मंदिर और सीताकुंड के बीच डैम के ऊपर निर्मित पैदल स्टील पुल के अलावा फल्गु के दोनों तट पर घाट एवं अन्य सुविधाओं का लोकार्पण करेंगे
श्रद्धालुओं को जल के लिए तरासना नहीं पड़ेगा
जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने बताया कि धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से बिहार के महत्वपूर्ण शहर गया में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को इस वर्ष पितृपक्ष महासंगम से पहले कई नयी सुविधाओं की सौगात मिलने वाली है. पसिद्ध विष्णुपद मंदिर के निकट फल्गु नदी में बिहार का पहला और देश का सबसे बड़ा रबर डैम लोकार्पण के लिए तैयार है. इससे फल्गु नदी में स्नान, तर्पण एवं पिंडदान के लिए देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को जल के लिए तरासना नहीं पड़ेगा
फल्गू नदी में सालोभर जल उपलब्ध रहेगा
इस गया जी डैम में विष्णुपद मंदिर के पास फल्गु में सालोभर कम से कम दो फीट पानी उपलब्ध रहेगा. फल्गु नदी पर 411 मीटर लंबा पैदल स्टील पुल, फल्गु के दोनों तटों पर घाट और पुल से सीताकुंड तक जाने के लिए पैदल पथ का निर्माण कार्य भी पूरा हो गया है. उन्होंने उन्होंने बताया कि फल्गू नदी में सालोभर जल उपलब्ध कराने के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर जल संसाधन विभाग ने पहले तथा देश के संभवत: सबसे बड़े रबर डैम का निर्माण निर्धारित समय से एक साल पहले पूरा करा लिया है. शिलान्यास खुद मुख्यमंत्री ने 22 सितंबर 2020 को किया था.
धार्मिक महत्व के मद्देनज़र डैम का निर्माण
अजय सिंह ( कार्यपालक अभियंता, जल संसाधन विभाग) की मानें तो फल्गु नदी में दूसरी बरसाती नदियों के मुकाबले पानी जल्दी सूख जाता है। दूसरी नदियों में पानी का ठहराव काफी वक़्त तक होता है, वहीं फल्गु नदी में तेजी से सीपेज होता है। नदी के भीतर पानी रोकने की तकनीक पारंपरिक तरीक़े से बने डैम में नहीं होती है। रबड डैम में पानी रोकने की तकनीक को एक सीमित दूरी तक उपयोग किया जाता है। विष्णुपद के पास धार्मिक महत्व के मद्देनजर पानी की ज़रूरत थी इसलिए यहां रबर डैम का निर्माण किया गया है।