ऊर्जा के क्षेत्र में बिहार इन दिनों काफी तरक्की कर रहा है। प्रदेश में कई बिजली के प्लांट चालू हुए हैं। इसके अलावा हाल ही में सीतामढ़ी में एक पावर ग्रिड का उद्घाटन किया गया। इस क्षेत्र में एक कदम और बढ़ाते हुए बिहार ने एक अनोखा काम किया है जहां पर एक तालाब के नीचे मछली पालन होगा और उसके ऊपर बिजली बनाई जाएगी। इससे उत्पादित बिजली को उपभोक्ताओं के घरों तक पहुंचाया जाएगा।
सौर ऊर्जा से रोशन होंगे लोगों के घर।
सोलर प्लांट से 1.6 मेगावाट बिजली जेनरेट की जा रही है। जो बिजली विभाग की स्थानीय पावर सब स्टेशन के माध्यम से उपभोक्ताओं के घरों तक सप्लाई की जा रही है। प्लांट स्थापित करने को लेकर बिजली विभाग के तालाब पर चार हजार चार सोलर पैनल लगाए गए हैं। प्लांट के रखरखाव सहित अन्य सभी कार्यो का निष्पादन 25 वर्षो तक ब्रेडा कंपनी को सौंपा गया है। इसको लेकर संबंधित विभाग से कंपनी का करार हुआ है। बता दें कि दरभंगा शहर में गर्मी के समय 45 मेगावाट बिजली की खपत होती है। वहीं जाड़े में बिजली की खपत घटकर 30 मेगावाट हो जाती है।
फ्लोटिंग सोलर प्लांट की ये है खासियत।
बता दें कि यह फ्लोंटिग सोलर प्लांट, किसी भी जमीन पर जो सोलर प्लांट लगाए जाते हैं उनसे काफी अलग होता। ये भूमि-आधारित सोलर प्लांट्स के लिए एक ऐसा विकल्प होता है, जिसमें वाटर बाॅडीज की सतह पर फोटोवोल्टिक पैनलों की तैनाती की जाती है। अक्सर सोलर प्लांट्स लगाने के लिए कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसमें ग्रिड कनेक्टिविटी, भूमि अधिग्रहण, विनियम जैसी चीजें शामिल हैं, लेकिन फ्लोटिंग सोलर प्लांट्स इन महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करने में मदद करते हैं। इन फ्लोटिंग सोलर प्लांट को स्थापित करने का एक अन्य लाभ वाटर बाॅडीज का कूलिग प्रभाव है, इससे इन सौर पैनलों का प्रदर्शन पांच से 10 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
मछली पालन और बिजली उत्पादन साथ-साथ।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फ्लोटिंग सोलर प्लांट से लगभग तीन हजार घरों को रोशन करने में सहायता मिल रही है। इतना ही नहीं इसके माध्यम से ग्रीन एनर्जी को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। कार्बन डाइऑक्साइड को कम किया जा रहा है। इन सबके अलावा, पानी की बचत हो रही है। साथ ही तालाब में मछली पालन भी किया जा रहा है, यानी एक साथ कई फायदे मिल रहे हैं।