पटना : सरकारी सरकारी धन के दुरुपयोग पर रोक लगाने और जनप्रतिनिधियों के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बिहार सरकार ने बड़ा फैसला किया है. जिसमे सभी पंचायतों में नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों को अपनी संपत्ति का पूरा ब्यौरा देना होगा. इसमें सरकार का मकसद ये है कि पंचायत के विकास कार्य सही और पारदर्शी तरीके से पूरा किया जा सके. इसी वजह से सभी पंचायत प्रतिनिधियों को संपत्ति का ब्यौरा एनआईसी पर अपलोड करना होगा. इसे लेकर पंचायती राज विभाग द्वारा पत्र जारी कर आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं.
जारी पत्र में इस बात को कहा गया है कि पंचायतों के प्रतिनिधियों को बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा 171 के तहत लोक सेवक माना गया है. जिस वजह से पंचायत प्रतिनिधियों को सरकारी सेवकों की तरह ही अपनी चल और अचल संपत्ति का पूरा ब्यौरा देना होगा. इसके लिए अंतिम तारीख 31 मार्च तय की गई है. अगर पंचायत प्रतिनिधि इस समय तक अपनी चल अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं देते हैं, तब 15 अप्रैल को प्रथम स्पष्टीकरण मांगा जाएगा. अगर तब भी वो अपनी चल अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं देते हैं तो 15 दिन के बाद अंतिम स्पष्टीकरण मांगा जाएगा.
अगर तब भी पंचायत प्रतिनिधि ने अपनी चल अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया तो संबंधित कर्मचारी से संबंधित पंचायत प्रतिनिधि से अंतिम रूप से शो कॉज किया जाएगा. इसकी सूचना डीएम को दी जाएगी. जिसके बाद इसकी समीक्षा होगी और संबंधित पंचायत प्रतिनिधि के खिलाफ सुसंगत धाराओं के तहत कार्रवाई का प्रस्ताव पंचायती राज विभाग को दिया जाएगा. अगर पंचायत प्रतिनिधि का दोष साबित हो जाता है तो उन्हें अपने पद से भी हाथ धोना पड़ सकता है.