बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को जातिगत जनगणना से संबंधित आर्थिक आंकड़े पेश किए गए. इस दौरान सदन में जबरदस्त हंगामा देखने को मिला. सरकार ने राज्य में आबादी की शैक्षणिक स्थिति के बारे में जानकारी दी. सरकारी आंकड़े के मुताबिक, राज्य में 33 फीसदी लोग स्कूल तक नहीं गए हैं. इतना ही नहीं, राज्य में सबसे ज्यादा गरीब वर्ग भूमिहार परिवार हैं. उसके बाद ब्राह्मण परिवार हैं.
राज्य सरकार के अनुसार, बिहार की 22.67 आबादी ने 1 से 5 तक की शिक्षा हासिल की है. कक्षा 6 से 8वीं तक की शिक्षा 14.33 फीसदी आबादी के पास है. इसके अलावा, 9 से 10 तक 14.71 फीसदी आबादी शिक्षित है. कक्षा 11 से 12 तक की शिक्षा 9.19 फीसदी आबादी ने हासिल की है. बिहार में 7 फीसदी से ज्यादा आबादी ने ग्रेजुएट किया है. यानी कुल 67.9 फीसदी से लोग स्कूल गए हैं. जबकि 32.1 फीसदी लोग स्कूल तक नहीं गए हैं.
‘25.84 फीसदी शेख परिवार गरीब’
इसी तरह, गरीबी को देखा जाए तो सामान्य वर्ग में सबसे अधिक गरीब भूमिहार समाज गरीब है. 25.32 फीसदी भूमिहार परिवार गरीब हैं. ब्राह्मण 25.3 फीसदी परिवार गरीब हैं. राजपूत 24.89 फीसदी गरीब परिवार हैं. कायस्थ 13.83 फीसदी गरीब परिवार हैं. शेख 25.84 फीसदी गरीब परिवार हैं. पठान (खान ) 22 .20 परिवार गरीब हैं. सैयद 17.61 फीसदी गरीब परिवार हें. कुल मिलाकर सामान्य वर्ग में 25.9 फीसदी परिवार गरीब हैं.
नोनिया 35 और चंद्रवंशी 34 फीसदी परिवार गरीब’
इसी तरह, बिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग जातियों की आर्थिक स्थिति भी पेश की गई. तेली 29.87 फ़ीसदी परिवार गरीब हैं. मल्लाह 34. 56 फीसदी परिवार गरीब परिवार हैं. कानू 32 .99 फीसदी परिवार गरीब हैं. धानुक 34.75 फीसदी गरीब परिवार हैं. नोनिया 35 .88 फीसदी गरीब परिवार हैं. चंद्रवंशी 34.08 फीसदी परिवार गरीब हैं. नाई 38 .37 प्रतिशत गरीब परिवार हैं. बढ़ई 27 .71 प्रतिशत गरीब परिवार हैं. प्रजापति 33.39 प्रतिशत गरीब परिवार हैं. पाल 33.20 प्रतिशत गरीब परिवार हैं.
’25 फीसदी सामान्य वर्ग गरीबी की श्रेणी में’
सामान्य वर्ग में गरीब परिवारों की संख्या 25.09 फीसदी है. पिछड़ा वर्ग के अंदर 33.16 फीसदी गरीब परिवार हैं. अत्यंत पिछड़ा में 33.58 फीसदी गरीब परिवार हैं. अनुसूचित जाति में 42.93 फीसदी गरीब परिवार हैं. अनुसूचित जनजाति में 42.70 फीसदी गरीब परिवार हैं. अनुसूचित जाति के कुल 42.93% परिवार गरीब हैं. अन्य जातियों में 23.72 फीसदी गरीब परिवार हैं.
अहिरवार 42 फीसदी गरीब’
अनुसूचित जातियों की आर्थिक रूप से गरीब परिवार की स्थिति भी सामने आई है. दुसाध 39.36 फीसदी परिवार गरीब हैं. अहिरवार 42.06 फीसदी परिवार गरीब हैं. मुसहर 54.56 फीसदी परिवार गरीब हैं. पासी 38 .24 फीसदी परिवार गरीब हैं. धोबी 35 .82 फीसदी परिवार गरीब हैं. डोम 53.10 फीसदी परिवार गरीब हैं. नट 49 .06 फीसदी परिवार गरीब हैं.
बिहार में सामान्य वर्ग को कितनी सरकारी नौकरी?
सामान्य वर्ग के पास 6 लाख 41 हजार 281 लोगों को नौकरी मिली है. कुल 3.19 फीसदी लोग नौकरी में हैं. भूमिहार जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 1 लाख 87 हजार 256 यानी 4.99 फीसदी है. ब्राह्मण जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 1 लाख 72 हजार 259 यानी 3.60 फीसदी है. राजपूत जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 1 लाख 71 हजार 933 यानी 3.81 फीसदी है. कायस्थ जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 52 हजार 490 यानी 6.68 फीसदी है. शेख जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 39 हजार 595 यानी .79 फीसदी है. पठान जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 10 हजार 517 यानी 1.07 फीसदी है. सैयद जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 7 हजार 231 यानी 2.42 फीसदी है.
पिछड़ा वर्ग में सरकारी नौकरी की स्थिति
यादव जाति के पास 2 लाख 89 हजार 538 यानी 1.55 फीसदी नौकरी है. कुशवाहा के पास 1 लाख 12 हजार 106 यानी 2.04 फीसदी नौकरी है. कुर्मी के पास 1 लाख 17 हजार 171 यानी 3.11 फीसदी नौकरी है. बनिया के पास 59 हजार 286 यानी 1.96 फीसदी नौकरी है. सुरजापुरी मुस्लिम के पास 15 हजार 359 यानी 0.63 फीसदी नौकरी है. भांट के पास 5 हजार 114 यानी 4.21 फीसदी नौकरी है. मलिक मुस्लिम के पास 1 हजार 552 यानी 1.39 फीसदी है. कुल पिछड़ी जातियों में 6 लाख 21 हजार 481 यानी 1.75 फीसदी नौकरी है.
बीजेपी ने सदन में किया हंगामा
सरकार ने हंगामे के बीच आर्थिक आंकड़े पेश किए, उसके बाद विधानसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गई. इससे पहले स्पीकर ने प्रश्नकाल शुरू किया. बीजेपी आंगनबाड़ी सेविकाओं के मामले में सदन में सरकार के जवाब की मांग पर अड़ी रही. नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सरकार से सदन में जवाब देने की मांग की, जिसके चलते विधानसभा में जबरदस्त हंगामा हुआ.
बिहार के मंत्री श्रवण कुमार ने कहा, जिस तरह से आज विपक्ष ने व्यवहार किया, उससे पता चलता है कि उन्हें लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास नहीं है. विपक्ष के नेता को उचित मौका देने के स्पीकर के बार-बार अनुरोध के बावजूद वे वेल में आ गए. यह सब टेलीविजन पर दिखाया गया था. लोगों ने यह सब देखा है. आशा कार्यकर्ताओं के खिलाफ बल प्रयोग पर मंत्री ने कहा, कानून का पालन किया जाना चाहिए. ऐसा न करने पर कार्रवाई की गई.
बता दें कि बिहार सरकार ने इससे पहले जातिगत जनगणना की जनसंख्या रिपोर्ट पेश की थी