नीतीश कुमार सरकार ने सूबे में सभी वर्ग की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त और सक्षम बनाने के लिए की एक खास योजना शुरू की है. महिलाओं को स्वरोजगार प्रदान करने के लिए पहली बार इस तरह की योजना शुरू की गई है. इस योजना का नाम मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना रखा गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित राज्य कैबिनेट की विशेष बैठक में इस नई योजना को मंजूरी दी गई.
मुख्य सचिव (सीएस) अमृत लाल मीणा ने इस योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने सूचना भवन के सभागार में पत्रकार वार्ता में बताया कि प्रदेश की 70 हजार महिला समूहों के साथ सरकार ने संवाद किया था. इस दौरान विवाह मंडल का गठन करने के साथ ही महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने से संबंधित काफी संख्या में सुझाव आए थे. इसके मद्देनजर सरकार ने इस योजना की रूप-रेखा तैयार की है.
हर समुदाय की महिला को लाभ
इस मौके पर मुख्य सचिव ने कहा कि किसी समुदाय के किसी परिवार से एक महिला को इस योजना का लाभ दिया जाएगा. इसकी पूरी रूप-रेखा जारी होने के बाद क्रियान्वयन शुरू हो जाएगा. 1 सितंबर के बाद से राशि वितरण शुरू कर देने की योजना है. छह हजार रुपये की पहली किस्त पाने के बाद इस योजना का सफल क्रियान्वयन करने के छह महीने बाद संबंधित महिला को 2 लाख रुपये की अतिरिक्त सहायता दी जाएगी.
मुख्य सचिव ने कहा कि यह लाभ महिलाओं को रोजगार करने के लिए दिया जाएगा. ताकि पूरे परिवार की आमदनी बढ़े तथा उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके. इससे जहां एक तरफ बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन होगा वहीं लोगों को रोजगार के लिए बिहार के बाहर नहीं जाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 2005 से लगातार महिलाओं के लिए दृढ़ संकल्पित होकर काम कर रही है. 2006 में पंचायत चुनाव और 2007 में सभी नगर निकायों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था लागू की. इसी का परिणाम है कि आज की तारीख में पंचायत से लेकर तमाम नगर निकायों के पद पर 57 फीसदी महिलाएं काबिज हैं.
लंबे समय से महिलाओं की थी मांग
जानकारी के मुताबिक मौजूदा सरकार ने 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू करने का फैसला लिया था. इस योजना के लागू हुए 10 वर्ष हो गए और इसके साकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं. यह कानून भी महिलाओं की मांग पर ही लागू की गई थी. महिलाओं और बालिकाओं के लिए सरकार लगातार काम कर रही है. इसके अलावा सभी पंचायतों में 12वीं तक के स्कूल के बाद सभी प्रखंड में कॉलेज तथा बालिका पोषाक, छात्रवृत्ति एवं साइकिल योजना निरंतर चलाई जा रही है.
सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि दोगुना करते हुए अभी 1.12 करोड़ परिवार को इसका लाभ दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 2006 में जीविका का गठन किया गया था. अब तक 11 लाख स्वयं सहायता समूह का गठन किया जा चुका है और 1.40 करोड़ महिला सदस्य इससे जुड़ चुकी हैं.
