पटना : तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों के साथ जारी हिंसा की खबरों के बीच अब दोनों ही राज्य झारखंड और बिहार की सरकारें अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सक्रिय हो गई हैं. दरअसल बिहार के मजदूरों के साथ तमिलनाडु में जारी हिंसा की खबरों के बीच बिहार में तो सियासी पारा चढ़ा ही था. वहीं झारखंड के मजदूरों के द्वारा वीडियो बनाकर डालने और अपनी जान बचाने की गुहार के बाद अब झारखंड की सरकार भी एक्शन मोड में आ गई है.
वहीं बिहार के मजदूरों के साथ कथित मारपीट के वीडियो पर तमिलनाडु के श्रम कल्याण मंत्री ने साफ कहा है कि ये वीडियो फर्जी हैं. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु को शांति के लिए जाना जाता है. ऐसे में जो फर्जी खबरें फैलाई जा रही है उनलोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.
तमिलनाडु के श्रम कल्याण मंत्री और कौशल विकास मंत्री सीवी गणेशन ने कहा कि ये सारी खबरें फर्जी है. बता दें कि गुरुवार की सुबह से ही तमिलनाडु में बिहार के लोगों के साथ मारपीट का वीडियो वायरल होना शुरू हुआ. वहीं आपको बता दें कि इसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने इस मामले में अधिकारियों को निर्देश दिए की बिहार के मजदूरों की सुरक्षित वापसी कराने के लिए टीम भेजने का निर्देश दिया. हालांकि विपक्ष की मांग के आगे सीएम नीतीश कुमार को यह फैसला लेना पड़ा क्योंकि इसके पहले बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कह चुके थे कि वहां ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है और भाजपा के लोग नफरत फैलाने के लिए ऐसा कह रहे हैं.
वहीं झारखंड के मजदूरों के तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित किल्लूर गांव में फंसे होने की सूचना के बाद और तमिलनाडु के कई अन्य इलाकों से आ रही खबरों के बीच झारखंड की सरकार भी एक्शन में आ गई है. झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने मामले में तुरंत संज्ञान लेते हुए अधिकारियों से वहां फंस राज्य के मजदूरों को सकुशल वापस लाने का आदेश दे दिया. सीएम के आदेश के बाद टीम को शुक्रवार को चेन्नई के लिए रवाना किया गया.
वहीं झारखंड के बाद बिहार सरकार की स्पेशल टीम भी चेन्नई के लिए रवाना होनेवाली है. इस 4 सदस्य टीम में से 2 सदस्य मूल रूप से तमिलनाडु के ही रहने वाले हैं.
बता दें कि 13 साल बाद एक बार फिर से बिहारी मजदूरों को यह दर्द झेलना पड़ रहा है. इससे पहले 2010 में यही हाल महाराष्ट्र में बिहारियों के साथ किया गया था यहां तब शिवसेना और मनसे के लोगों ने हिंदी भाषियों को बाहर निकालने के लिए अभियना छेड़ा था. बिहारी मजदूरों पर हर जगह हमले किए जा रहे थे.
दरअसल तमिलनाडु में यह मामला 15-20 दिन से चल रहा है. एक तरफ तमिल मजदूरों ने जहां मेहनताना बढ़ा दिया वहीं बिहार मजदूर इससे कम पर काम करने को तैयार हो गए. इसके बाद हिंदी भाषियों के खिलाफ मारपीट का सिलसिला शुरू हुआ और वहां से लौटकर वापस आ रहे मजदूरों की मानें तो 12 से 14 लोगों की मौत इसमें हो चुकी है.