मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय एवं स्मृति स्तूप, वैशाली का फीता काटकर एवं शिलापट्ट अनावरण कर उद्घाटन किया. मुख्यमंत्री स्मृति स्तूप के प्रथम तल पर मुख्य हॉल में भगवान बुद्ध के पवित्र अस्थि अवशेष के अधिष्ठापन कार्य एवं पूजा समारोह में शामिल हुए. मंत्रोच्चारण के बीच प्रमुख बौद्ध भिक्षुओं ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष का नवकक्ष में विधिपूर्वक एवं श्रद्धापूर्वक अधिष्ठापित किया.
इस दौरान मुख्यमंत्री पूरी श्रद्धा के साथ अधिष्ठापन कार्य एवं पूजा समारोह में शामिल हुए. यहां दलाई लामा के लिखित संदेश को भी पढ़ा गया. कार्यक्रम में 15 देशों के प्रमुख बौद्ध भिक्षुगण एवं बौद्ध धर्मावलंबी उपस्थित हुए. बड़ी संख्या में उपस्थित बौद्ध भिक्षुओं ने पवित्र अवशेष के अधिष्ठापन के दौरान विधिपूर्वक मंत्रोच्चारण किया. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री को प्रमुख बौद्ध भिक्षुओं ने प्रतीक चिह्न, अंगवस्त्र एवं पुस्तक भेंटकर उनका स्वागत किया.
निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं की जानकारी ली
मुख्यमंत्री ने बुद्ध सम्यक संग्रहालय सह स्मृति स्तूप परिसर का भी निरीक्षण किया और वहां की व्यवस्थाओं की जानकारी ली. इस दौरान भवन निर्माण विभाग के सचिव श्री कुमार रवि ने मुख्यमंत्री को बताया कि यहां 500 किलोवाट क्षमता का सोलर पैनल स्थापित किया गया है, इससे पूरे परिसर को सौर ऊर्जा का लाभ मिलेगा. भवन निर्माण विभाग के सचिव ने मुख्यमंत्री को बुद्ध सम्यक संग्रहालय सह स्मृति स्तूप की आकृति का प्रतीक चिह्न भेंट किया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हम सभी बिहारवासियों के लिए ऐतिहासिक और गौरव का पल है. हमने बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सहृ-स्मृति स्तूप के निर्माण कार्य का लगातार निरीक्षण किया ताकि निर्माण कार्य विशिष्ट ढंग से जल्द से जल्द पूर्ण हो सके. बड़ी खुशी की बात है कि आज वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का उद्घाटन किया गया है. इस परिसर का स्वरूप पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी काफी अच्छा बनाया गया है ताकि यहां आने वाले पर्यटकों को सुखद अनुभूति हो . उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में हम वैशाली में आये और 4 दिन तक यहाँ रहे थे.
यहां से दुनिया को पहला गणतंत्र मिला
वैशाली ऐतिहासिक और पौराणिक भूमि है, जिसने दुनिया को पहला गणतंत्र दिया. यह नारी सशक्तीकरण की भी भूमि रही है. बौद्ध धर्मावलंबियों के संघ में पहली बार यहां महिलाओं को शामिल किया गया. बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय एवं स्मृति स्तूप बिहार की सांस्कृतिक धरोहर और वैश्विक बौद्ध विरासत का भव्य प्रतीक है. 72 एकड़ भूमि पर इस भव्य स्तूप का निर्माण राजस्थान के गुलाबी पत्थरों से किया गया है.
बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप में पुस्तकालय, संग्रहालय, तालाब, गेस्ट हाऊस, एमपी थियेटर, कैफेटेरिया आदि का निर्माण कराया गया है. सौर ऊर्जा संयंत्र के साथ-साथ इस परिसर में बेहतर पार्किंग की व्यवस्था की गई है. इस स्तूप का वर्ष 2019 में शिलान्यास किया गया था. भगवान बुद्ध जगह-जगह घूमा करते थे. इस दौरान वे राजगीर के वेणुवन में रहे और फिर यहाँ से बोधगया चले गये थे, जहाँ उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुयी. भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के बाद उत्तर प्रदेश के सारनाथ चले गये जहाँ उन्होंने पहला उपदेश दिया.
सके बाद वे पुनः राजगीर आये और गृद्धकूट पर्वत पर उपदेश देने लगे. इसके बाद भगवान बुद्ध के वैशाली में ठहरे और फिर केसरिया (पूर्वी चम्पारण), लौरिया नन्दन गढ़ ( पश्चिमी चम्पारण) होते हुए कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) पहुंचे थे. अंत में ये बहुत बीमार हो गये थे और उत्तर प्रदेश के कुशीनगर पहुँचे जहाँ उनका निधन हो गया.
नीतीश सरकार की पहल
राज्य सरकार ने राज्य में भगवान बुद्ध से जुड़े सभी स्थलों का विकास कराया है. राजगीर के वेणुवन के क्षेत्र को बढ़ाया गया है और इसका सौंदर्यीकरण कराया गया है. गृद्धकूट पर्वत पर आने-जाने के लिए रास्ते को ठीक कराया गया है. घोड़ा कटोरा में भगवान बुद्ध की 50 फीट ऊंची प्रतिमा लगायी गयी है. वर्ष 2010 में पटना में बुद्ध स्मृति पार्क एवं बुद्ध स्तूप का निर्माण कराया गया है. अब वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप का उद्घाटन किया गया है.
बौद्ध पर्यटक स्थलों को एक सर्किट में जोड़ा गया है. बोधगया आने वाले पर्यटक राजगीर, राजगीर से पटना पटना से वैशाली तथा वैशाली से केसरिया स्तूप, लौरिया नन्दन गढ़ होते हुए पश्चिमी चम्पारण जिले में गंडक नदी पर निर्मित धनाह – रतवल (गौतम बुद्ध) सेतु से कुशीनगर जा सकते हैं.
